समाज में आचरण का उदाहरण हो शिक्षकों का चरित्र
जागरण संवाददाता, बलिया: शिक्षक तथा समाज का घनिष्ठ संबंध है। शिक्षक के विचार, आचरण और व्
जागरण संवाददाता, बलिया: शिक्षक तथा समाज का घनिष्ठ संबंध है। शिक्षक के विचार, आचरण और व्यवहार ज्ञात एवं अज्ञात रूप से समाज को प्रभावित करते हैं। शिक्षक का चरित्र विद्यार्थी तथा समाज के लिए आचरण एक अलग उदाहरण होना चाहिए। अध्यापन से कहीं अधिक प्रभाव उनके निजी स्वभाव से विद्यार्थी जीवन पर पड़ता है। इसलिए कक्षा में पाठ्यपुस्तक पढ़ाने के साथ-साथ अध्यापक को अपने आचरण एवं व्यवहार के प्रति सदैव सतर्क होना चाहिए। महात्मा गांधी आचरणहीन ज्ञान को सुगंधि में लिपटे हुए शव के समान समझते थे। यह सही है कि यदि अध्यापक के ह्रदय में सच्चे अर्थों में अच्छे समाज के निर्माण की आकांक्षा है तो निश्चय ही वह अपना चरित्र उन आदर्शों में व्यवस्थित करने के लिए प्रयत्नशील होगा जिनसे वह समाज को परिवर्तित करना चाहता है। उसके हाथ में विद्यार्थी मण्डल की महान शक्ति है जिसके माध्यम से वह समाज की पुन: रचना कर सकता है। शिक्षक देश की संस्कृति का निर्माता है और देश के सांस्कृतिक गौरव को अमर बनाए रखने में उनका महत्वपूर्ण हाथ होता है। हमारी संस्कृति का परिचय भावी नागरिकों को अध्यापक ही देता है। आज शिक्षा का दान शिक्षक की आजीविका का साधन बन गया है इस वजह से विद्यार्थियों में शिक्षकों के प्रति श्रद्धा घटती जा रही है। मेरा मानना है कि उस शिक्षा का कोई मतलब नहीं है जो चित्त को शुद्ध न करे, मन तथा इन्द्रियों पर संयम न सिखाए, निर्भयता एवं स्वावलंबन उत्पन्न न करे, जीवन-निर्वाह का साधन न बताए और गुलामी से छूटने तथा स्वतंत्रता में रहने की सामर्थ्य तथा उत्साह उत्पन्न न करे। प्रत्येक बालक संस्कार रूप में कुछ प्रतिभा-शक्ति लिए हुए संसार में जन्म लेता है। उस जन्मजात प्रतिभा एवं शक्ति को उभारकर स्वस्थ रूप प्रदान करना माता-पिता एवं शिक्षक का परम कर्तव्य है।
चंद्रप्रकाश ¨सह, ¨प्रसिपल, द होराइजन स्कूल, त्रिकालपुर, गड़वार