छोटे शहरों में भी ऑड-ईवन फॉर्मूला कम कर सकता प्रदूषण
इस बात से अब कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि उनका शहर प्रदूषण से नहीं कराह रहा है। सड़क पर उड़ते धूल और चिमनी की तरह धुआं देने वाले खटारा वाहनों की छोटे शहरों में भरमार है। बलिया जैसे शहर में तो ऐसे वाहन भी चलते हैं जिन्हें महानगरों ने निकाल दिया है। ऐसे वाहनों को कम रेट में बहुत से लोग खरीद कर लाते हैं और उसे छोटे शहरों में चलाते हैं।
लवकुश सिंह
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बलिया : इस बात से अब कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि उनका शहर प्रदूषण से नहीं कराह रहा है। सड़क पर उड़ते धूल और चिमनी की तरह धुआं देने वाले खटारा वाहनों की छोटे शहरों में भरमार है। बलिया जैसे शहर में तो ऐसे वाहन भी चलते हैं, जिन्हें महानगरों ने निकाल दिया है। ऐसे वाहनों को कम रेट में बहुत से लोग खरीद कर लाते हैं और उसे छोटे शहरों में चलाते हैं।
पुलिस प्रशासन यह देखकर भी कुछ नहीं कर पाता। इसलिए कि ऐसे वाहन जब पकड़े जाते हैं तो बड़े-बड़े रहनुमा भी उन्हें छोड़ देने की दबाव बनाने लगते हैं। नतीजा यह निकलता है कि इस तरह के वाहन शहर में प्रदूषण फैलाते रहते हैं और लोगों की जिदगी प्रदूषित हवा को निगलती रहती है। अभी के समय में बलिया में भी बढ़ते प्रदूषण को लेकर लोग चितित हैं। दिल्ली के प्रदूषण की शोर देश भर में लोग सुन रहे हैं, लेकिन उससे भी खराब दशा छोटे शहरों की है। जहां न कोई मापक यंत्र है और न ही संबंधित विभाग ही इस दिशा में कोई अलर्ट जारी करता है।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू की है। इसमें वहां के लोग भी सहयोग कर रहे हैं। दिल्ली में रहने वाले बलिया निवासी शशिभूषण सिंह, टुनटुन सिंह, शैलेश सिंह आदि बताते हैं कि यह फॅर्मूला प्रदूषण को कम करने में काफी सहयोग कर रहा हैं। जनपद के जागरूक लोग भी मान रहे कि ऐसा फॉर्मूला हर शहर में लागू होना चाहिए। यह कार्य खुद की सेहत के लिए हैं। शहर से खटारा वाहनों को हटाने के साथ यदि कुछ बेहतर इंतजाम किए जाएं तो भारी संख्या में लोग सेहत के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। -आइए समझते हैं क्या ऑड-ईवन फॉर्मूला
गणित की भाषा में 1, 3, 5, 7 औऱ 9 को ऑड नंबर कहा जाता है। इसी तरह 2, 4, 6, 8 और 0 को ईवेन नंबर कहते है। यह फॉर्मूला लागू होने का मतलब यह है कि गाड़ी के नंबर प्लेट का आखिरी नंबर ऑड 1, 3, 5, 7, 9 है तो वह वाहन फॉर्मूला लागू अवधि में ऑड नंबर वाली तारीख 3, 5, 7, 9, 11, 13 और 15 तारीख को चलेंगे। वहीं यदि गाड़ी का आखिरी नंबर ईवन 2, 4, 6, 8, 0 है तो वह वाहन ईवन डेट 4, 6, 8, 10, 12 और 14 तारीख को चल पाएंगे। इस फॉर्मूला से राहत यह मिलेगी कि इस अवधि में सड़कों पर कम वाहन होंगे। इस दरम्यान इमरजेंसी सेवाओं जा रहे वाहनों को राहत देते हुए यदि सार्वजनिक तौर यह यह फॉर्मूला हर शहर में लागू हो जाए तो प्रदूषण को कम समय में तेजी से नियंत्रित किया जा सकता है।