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पर्यावरण का सीना चीर रहीं अवैध आरा मशीनें

कों पर विचरण कर रहे छुट्टा पशुओं को लेकर जिले में मात्र एक दिन कार्रवाई हुई। इस कोरम को पूरा करने के बाद अभियान टॉय-टॉय फिस्स हो गया। इससे नगर की सड़कों व कूड़ा ढ़ेरों पर छुट्टा पशुओं के झुंड दिखाई देने लगे हैं। नपा द्वारा बनाया गया अस्थाई गौशाला भी बेकार पड़ा है। छुट्टा पशु आए दिन सड़क पर चलने वालों के सामने समस्याएं पैदा कर रहे हैं। इनपुट

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 07:00 PM (IST)
पर्यावरण का सीना चीर रहीं अवैध आरा मशीनें
पर्यावरण का सीना चीर रहीं अवैध आरा मशीनें

जागरण संवाददाता, बलिया: काष्ठ आधारित उद्योगों को प्रमोट करने का सरकारी फरमान पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है। सरकारी आदेश की आड़ में आए दिन सैकड़ों फलदार पेंड़ों को जमींदोज करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिले के कोने-कोने में फैले विभागीय संरक्षण वाले वन माफियाओं के कहर से हरियाली का सीना छलनी होना रोजमर्रा की बात हो गई है।

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जिले को बीहड़ और वीरान बनाने पर तुले इन माफियाओं को अवैध आरा मिलों को पूर्ण समर्थन प्राप्त है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जनपद में हर चट्टी-चौराहा पर गैर कानूनी रुप से चलाये जा रहे आरा मिलों पर विभाग की नजर नहीं पड़ती। वैसे तो विभागीय आंकड़े में दर्ज कुल आरा मशीनों की संख्या 99 है लेकिन हकीकत के धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। सूत्रों की माने तो इन वैध आरा मिलों के नाम पर विभागीय संरक्षण में कई सौ आरा मिलों का संचालन किया जा रहा है। विभाग के लिए कामधेनु बने इन आरा मशीनों पर कार्रवाई तो दूर इसके बारे में सोचा तक नहीं जाता। विभाग की नजर-ए-इनायत से चलने वाली इन मशीनों के जिम्मे अवैध कटाई से लेकर चिराई तक का काम बेखौफ किया जाता है। नाम न छापने की शर्त पर एक आरा मिल संचालक ने बताया कि इसके बदले विभाग को मोटी रकम चुकाई जाती है। जिसमें ऊपर से नीचे तक सबकी हिस्सेदारी सुनिश्चित है।

विडम्बना तो यह है कि दो साल पहले जिले में अवैध रुप से संचालित किए जाने वाले तकरीबन 12ृ1 आरा मशीनों को सीज किया गया था, लेकिन आज भी इनका संचालन किया जा रहा है। यही नहीं नगर के बहेरी में अवैध आरा मिलों के संचालन की पूरी जानकारी होने के बाद भी विभाग की खामोशी पूरी कहानी बताने के लिए पर्याप्त है। जिले के सिकन्दरपुर, बैरिया, मनियर, बांसडीह व रसड़ा रेंज में तो वन माफियों को पूरा रैकेट सक्रिय है जो कटाई से लेकर चिराई तक का काम पूरी दमदारी से निपटा रहा है और विभाग मूकदर्शक बना बैठा है। इनकी पकड़ का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इन गोरखधंधियों द्वारा डंके की चोट पर फलदार वृक्षों को बंध्या घोषित करा दिया जाता है। जबकि किसी वृक्ष को फलदार या बंध्या घोषित करनी की पूरी जिम्मेदारी उद्यान विभाग की है लेकिन जिले में प्रतिबंधित पेड़ों की हो रही बेधड़क कटाई ने उद्यान विभाग को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

वैसे तो सरकार ने आम, नीम, महुआ व शीशम की कटाई पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन आम के पेड़ों की कटाई बेरहमी से की जा रही है। इन पेड़ों की परमिट जारी करने से लेकर कटाई व चिराई में विभाग के अलावा उद्यान विभाग व स्थानीय थाना का सह प्राप्त होता है। जिले की हरियाली पर चल रही आरियों को समय रहते नहीं रोका गया तो धरा को वीरान होने से नहीं बचाया जा सकता।


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