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बजट के बावजूद आशाएं भुगतान से वंचित

जागरण संवाददाता बलिया आशा बहुओं को स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी का जाता है लेकिन विभाग के उच्चधिकारियों को इसका ख्याल नहीं है। तभी तो पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में आशा बहुओं के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में शासन से आई

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 06:02 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 06:02 PM (IST)
बजट के बावजूद आशाएं भुगतान से वंचित

जागरण संवाददाता, बलिया : आशा बहुओं को स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है, लेकिन विभाग के उच्चधिकारियों को इसका ख्याल नहीं है, तभी तो पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में आशा बहुओं के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में शासन से आई 87 लाख धनराशि को डंप कर दिया, पर आशाओं को भुगतान करना उचित नहीं समझा। यह राशि जिले की ग्रामीण व शहरी को मिलाकर कुल 3109 आशाओं के बीच वितरित करनी थी।

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इस तरह देखा जाए तो महीने में अपने काम के हिसाब से महज दो-तीन हजार मानदेय पाने वाली आशाओं के भुगतान के प्रति स्वास्थ्य विभाग का यह नजरिया कहीं से भी उचित नहीं है। अक्टूबर, 2019 के परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक के आदेश के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सहयोगात्मक पर्यवेक्षणीय भ्रमण के लिए प्रतिपूर्ति के रूप में 750 रुपये देने का निर्णय लिया गया था। आशा संगिनी वाले 15 दिन भ्रमण किया था, उनको पचास रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 750 रुपये दिया जाना था। इसके लिए 87 लाख 5 हजार 200 रुपये बजट निर्गत किया गया था। लेकिन उसको विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया। जबकि, आशा बहुओं का ग्राम स्तर पर काम बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। उनको महीने में काम के हिसाब से दो से तीन हजार रुपये मानदेय के रूप में मिल पाते हैं। आशा बहुओं की समस्याओं के प्रति स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गम्भीर नहीं है। डीजी के रिमाइंडर को भी दिखाया ठेंगा

- आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए अक्टूबर, 2019 में 87 लाख रुपये मिले, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद नवंबर महीने में परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक की ओर से रिमाइंडर भी आया, लेकिन उसको भी मुख्य चिकित्साधिकारी ने ठेंगा दिखा दिया। आखिरकार, बजट लैप्स हो गया। आशा संघ ने भी उठाई आवाज

आशा संघ की जिलाध्यक्ष पूनम पांडेय ने भी जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही को पत्र लिखकर समस्या संज्ञान में लेने का आग्रह किया हैं। कहा है कि राज्य सरकार द्वारा बढ़ाया गया मानदेय प्रतिमाह 750 रुपये स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण भुगतान नहीं किया गया है। इस आपदा में राहत भरी एक बड़ी उम्मीद थी।


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