लॉकडाउन के चलते नहीं दे पाया पत्नी को मुखाग्नि
जागरण संवाददाता नगरा (बलिया) कोरोना से जंग के लिए घोषित लाकडाउन के चलते पिता परदेश में फंसा है। हृदयगति रुकने से गत बुधवार की रात मां भी चल बसी। अब छ वर्षिया पुत्री रीता के भरण पोषण को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समय घर में ताला लटका हुआ है। हालाकि मां के निधन के बाद इकलौती पुत्री रीता को उसके ननिहाल के लोग लेकर इंदरपुर चले गए हैं। गांव के प्रधान प्रतिनिधि श्रीकांत यादव का कहना है कि परिवार में अंत्योदय कार्ड बनवाया गया है।
जागरण संवाददाता, नगरा (बलिया) : कोरोना से जंग के लिए घोषित लॉकडाउन के चलते पिता परदेश में फंसा है। हृदयगति रुकने से गत बुधवार की रात मां भी चल बसी। अब छह साल की उसकी पुत्री रीता के भरण-पोषण को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समय घर में ताला लटका हुआ है। मां के निधन के बाद इकलौती पुत्री रीता को उसके ननिहाल के लोग लेकर इंदरपुर चले गए हैं। गांव के प्रधान प्रतिनिधि श्रीकांत यादव का कहना है कि परिवार में अंत्योदय कार्ड बनवाया गया है।
जूड़नपुर गांव निवासी सीताराम राजभर गुजरात में किसी प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हैं। सीताराम के पिता मुसाफिर राजभर भी बस्ती जिले में किसी ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करते हैं। इधर सीताराम की पत्नी संगीता अपनी इकलौती पुत्री रीता 6 वर्ष को लेकर घर पर ही रहती थी। संगीता हृदय रोग से पीड़ित थी। लॉकडाउन के चलते उनकी दवा भी बंद हो गई थी। बुधवार की रात अचानक संगीता की तबियत खराब हुई व उनका निधन हो गया।
जब इसकी सूचना पति सीताराम को दी गई तो उन्होंने लॉकडाउन की वजह से घर पहुंचने में असमर्थता व्यक्त की। इसके बाद उसे अन्य परिजनों की इच्छा से ग्रामीणों ने संगीता के शव को ले जाकर सरयू नदी में जल प्रवाह कर दिया। उसके पति से मोबाइल पर बात करने पर बताया कि इस लॉकडाउन में पत्नी के शव को कंधा दे पाया न मुखाग्नि। यह बात मन को बार-बार कचोट रहा है। इस घटना के बाद गांव में गमगीन माहौल हैं।