बलिया के डा. विनय ने लहराया परचम
जागरण संवाददाता बिल्थरारोड (बलिया) अमेरिका के नासा का हिस्सा बने भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डा. विनय सिंह आगामी 14 फरवरी को भारत लौटेंगे और 15 फरवरी को चेन्नई में आयोजित चौथे इंटरनेशनल साइंटिस्ट अवार्डस आफ इंजीनियरिग साइंस और मेडिसिन में भाग लेंगे। जहां उन्हें राष्ट्रपति के हाथों प्रस्टीजियम सांइटिस्ट अवार्ड प्रदान किया जायेगा। डा. विनय सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के नगरा ब्लाक के ताड़ीबड़ागांव के निवासी है।
जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया): भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डा. विनय सिंह 15 फरवरी को चेन्नई में आयोजित चौथे इंटरनेशनल साइंटिस्ट अवार्ड्स आफ इंजीनियरिग साइंस व मेडिसिन में हिस्सा लेंगे, जहां राष्ट्रपति के हाथों उन्हें प्रेस्टीजियस सांइटिस्ट अवार्ड प्रदान किया जायेगा।
डा. विनय सिंह मूलरूप से जनपद के नगरा ब्लाक के ताड़ीबड़ागांव के निवासी हैं। इसकी जानकारी होते ही उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। डा. विनय पिछले 31 साल से राकेट विज्ञान से जुड़े हुए हैं। 10 वर्ष तक इसरो में सेवा देने के बाद पिछले 16 वर्ष से नासा का हिस्सा बने हुए हैं। इनकी मुख्य भूमिका सैटेलाईट की पेलोड संरचना एवं इमेज डाटा प्रोसेसिग में रही है।
डा. विनय ने दूरभाष पर दैनिक जागरण से विशेष वार्ता में अपने भारत आने की पुष्टि करते हुए बताया कि जब रिमोट सेंसिग सैटेलाईट के चित्र का ट्रांसमिशनल लाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए कम्प्रेशन विधि का प्रयोग किया जाता है। यह अविष्कार अन्य द्वारा किए गए अविष्कार से बेहतर था। बताया कि इमेज डाटा प्रोसेसिग व साफ्टवेयर इंजीनियरिग के क्षेत्र में भी उनके द्वारा अविष्कार किए हैं। साल 1999 में भारत सरकार द्वारा युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार दिया गया था। बताया कि अभी वे ब्रह्मांड में ऐसे ग्रहों की खोज में लगे हैं जहां पृथ्वी जैसा सोलर सिस्टम मिल सके।