दवा के नाम बदल देते हैं डाक्टर, दाम में जमीन-आसमान का अंतर
जागरण संवाददाता बलिया प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में जनऔषधि केंद्र की शुरुआत की। इसके पीछे म
जागरण संवाददाता, बलिया : प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में जनऔषधि केंद्र की शुरुआत की। इसके पीछे मंशा थी कि बाजार से 80 से 90 प्रतिशत कम दर पर जेनरिक दवाएं मरीजों को मिलेंगी। गरीबों को उपचार के लिए कर्ज नहीं लेना पड़ेगा लेकिन इस कवायद को जनपद में मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। दो साल पहले कुछ केंद्रों की स्थापना की गई लेकिन कई बंद हो गए। इस समय जो केंद्र चल रहे हैं वे चिकित्सकों और दवा कारोबारियों के गठजोड़ में पिस रहे हैं। जनपद में दो साल पहले जिला अस्पपताल, महिला अस्पताल, रसड़ा स्वास्थ्य केंद्र, तिखमपुर, सहतवार व सिकंदरपुर में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र खोले गए थे। इसमें जिला महिला व पुरुष अस्पताल में संचालन हो रहा है बाकी बंद पड़े हैं। जेनरिक व सामान्य दवाओं के दाम में फर्क : प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र में गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड की 15 गोली चार रुपये और बाहर 75 रुपये में मिलती है। वहीं सूजन की दवा जीरोडोल 17 रुपये में दस गोली व बाहर 117 रुपये में है। पेट दर्द की दवा ड्रोटाडिन 18 रुपये में दस गोली व बाहर 55 रुपये देने पड़ते हैं। ऐसे ही लगभग सात सौ प्रकार की दवाओं के दामों में अंतर है। बात ग्लब्स की करें तो केंद्र में 20 व बाहर 70 रुपये कीमत है। फार्मासिस्ट व कई मरीजों के अनुसार डाक्टर दवाओं के नाम बदल देते हैं जो बाहर मिलती हैं। दवा वापस करने के लिए बनाते हैं दबाव : जिला अस्पताल स्थित जन औषधि केन्द्र पर 505 तरह की दवाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल में 20 ओपीडी चलती है। लगभग एक हजार मरीजों में आठ-दस पर्चा प्रतिदिन आता है। फार्मासिस्ट सुशील सिंह ने बताया कि कई चिकित्सक दवा देने के बाद मरीज पर वापस करने का दबाव बनाते हैं। लिखकर मांगने पर वह नहीं देते हैं। उच्चाधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद असर नहीं पड़ता।
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शोपीस बना केंद्र : महिला अस्पताल स्थित जनऔषधि केंद्र शोपीस बन गया है। चिकित्सकों द्वारा जेनरिक दवा न लिखने के कारण यहां बिक्री नाम मात्र की है। यहां फोलिक एसिड और डोलो 650 की बिक्री हो रही है।
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प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र पर बाजार से 80 फीसद तक कम रेट पर दवाएं व सर्जिकल सामान उपलब्ध हैं। सभी चिकित्सकों को निर्देश है कि अस्पताल की दवाओं को प्राथमिकता दें। जरूरी होने पर जनऔषधि केंद्र की दवा लिखें। बाहर की दवा लिखने की सख्त मनाही है। --- डा. दिवाकर सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल।
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सभी चिकित्सकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बाहर कह दवा कतई न लिखें। यदि कोई ऐसा करता है तो कार्रवाई होगी। किसी मरीज को आपत्ति हो तो शिकायत कर सकता है। मामले की जांच कराई जाएगी। --डा. सुमिता सिन्हा, सीएमएस, महिला अस्पताल।
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केस 1 : चिलकहर निवासी नसीरूद्दीन को लीवर में परेशानी है। चिकित्सक ने बाहर की दवा लिखी है। एक माह की दवा की कीमत तीन हजार रुपये के करीब है। उसकी माली हालत ठीक नहीं है। वह शहर में प्राइवेट नौकरी करता है। उसे किसी ने प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र के बारे में बताया। वह वहां पहुंचा तो एक माह की दवा एक हजार रुपये की मिली। उसने कहा कि अब दवा के लिए कर्ज नहीं लेना पड़ेगा। केस 2 : बांसडीह क्षेत्र के विशुनपुरा गांव निवासी शारदा देवी के नवजात बच्चे को पीलिया हो गया। वह महिला अस्पताल में एक चिकित्सक को ओपीडी में दिखाने पहुंचीं। उन्होंने दो दवा अस्पताल की व चार बाहर की लिखी। जिसकी कीमत करीब 450 रुपये आई। वहीं दुबहड़ निवासी ममता सिंह को पांच माह का गर्भ है। चिकित्सक ने चेकअप के बाद आयरन व कैल्शियम अस्पताल का लिखा व पाउडर सहित तीन दवा बाहर की लिखी जिसकी कीमत सात सौ रुपये आई।
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