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आठ माह से गोदाम में डंप है दो हजार क्विटंल गेहूं

गेहूं खरीद के आठ महीना बीत गए। अब तो धान की खरीदारी भी शुरू होने वाली है। ऐसे में साधन सहकारी समिति सुखपुरा का गोदाम आज भी सरकारी गेहूं की बोरियों से भरा हुआ है। इसके कारण समिति न तो रासायनिक खाद का उठान कर पा रही है और न ही धान खरीदने की कोई सुगबुगाहट है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 05:00 PM (IST)
आठ माह से गोदाम में डंप है दो हजार क्विटंल  गेहूं
आठ माह से गोदाम में डंप है दो हजार क्विटंल गेहूं

जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया) : गेहूं खरीद के आठ महीना बीत गए। अब तो धान की खरीदारी भी शुरू होने वाली है। ऐसे में साधन सहकारी समिति सुखपुरा का गोदाम आज भी सरकारी गेहूं की बोरियों से भरा हुआ है। इसके कारण समिति न तो रासायनिक खाद का उठान कर पा रही है और न ही धान खरीदने की कोई सुगबुगाहट है। शासन ने साधन सहकारी समिति को गेहूं खरीद का केंद्र बनाया था। इसके तहत कुल 4750 क्विटंल गेहूं की खरीद की गई। काफी प्रयास के बाद 2750 क्विटंल गेहूं का उठान हो पाया। आज भी दो हजार क्विटंल गेहूं समिति के गोदाम में पड़ा हुआ है और अपने उठान का इंतजार कर रहा है। इस बीच शासन का एक निर्देश समिति को मिला कि 1976 रुपये प्रति क्विटंल की दर से 2000 क्विटंल गेहूं का मूल्य पीसीएफ में जमा कर दें जबकि मार्केट रेट 1850 रुपये प्रति क्विटंल है। ऐसे में 126 रुपये प्रति क्विटंल का घाटा समिति कैसे वहन करेगी। यह विचारणीय प्रश्न समिति और समिति से जुड़े प्रशासक मंडल को बेचैन कर रहा है। दूसरी तरफ समिति के सभापति विजय शंकर ¨सह ने 11 अगस्त को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, 12 अगस्त को जिलाधिकारी बलिया एवं 17 अगस्त को मुख्य सचिव खाद्य एवं रसद विभाग को पत्र लिखकर गेहूं के उठान की प्रार्थना की थी। बावजूद इसके अभी तक गेहूं का उठान नहीं हो पाया। वह एक बार पुन: मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में इसकी जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के साथ गोदाम को अविलंब खाली कराने का अनुरोध किया है।

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