रेल परिचालन बहाल करने को दिन-रात चल रहा काम
बलिया-छपरा रेलखंड पर बारिश से ट्रैक धसनें के दूसरे दिन भी पटरियों को दुरुस्त करने का काम युद्ध स्तर पर चलता रहा। मौके पर खुद डीआरएम एके पंजियार ने व्यवस्था की कमान सम्हाले हुए थी जिसकी वजह से समूचे रेलवे का यांत्रिक विभाग मौके पर हांफता नजर आया। रविवार की सुबह से ही पटरियों के नीचे से मिट्टी खिसकने की खबर पर कंट्रोल ने उक्त रूट पर परिचालन को रोक दिया है।
जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया) : बलिया-छपरा रेलखंड पर बारिश से ट्रैक धंस जाने के दूसरे दिन सोमवार को भी पटरियों को दुरुस्त करने का काम युद्ध स्तर पर चलता रहा। मौके पर खुद डीआरएम एके पंजियार ने व्यवस्था की कमान संभालने हुए थी, इसकी वजह से समूचे रेलवे का यांत्रिक विभाग मौके पर हांफता नजर आया। रविवार की सुबह से ही पटरियों के नीचे से मिट्टी खिसकने की खबर पर कंट्रोल ने उक्त रूट पर परिचालन को रोक दिया है। इसके बाद से ही पूरा यांत्रिक विभाग मौके पर पटरियों को ठीक करने में जुटा रहा। रविवार को पूरे दिन व पूरी रात काम करने के बावजूद उक्त रेलपथ पर काम पूरा नहीं किया जा सका था। डीआरएम मौके पर पंहुचे तो उनके साथ चीफ मंडल इंजीनियर राजीव अग्रवाल और गाजीपुर डिवीजन के इंजीनियर योगेश विश्वकर्मा समेत बड़ी संख्या में इंजीनियरिग की टीम मौके पर पहुंच चुकी थी। खुद एक-एक स्पर का अवलोकन करते डीआरएम को देख पूरा रेलवे का स्टाफ पूरे मनोयोग से काम मे जुटा रहा। बावजूद इसके दूर तक जमीन छोड़ चुकी पटरियों को एक सीध में स्थापित करना काफी मुश्किल लग रहा था। जयघोष करते पटरियों को सीध में ला रहे थे गैंगमैन
सैकड़ों की संख्या में गैंगमैन व अन्य कामगारों की टीम अपने अपने मेठ के साथ जयघोष करते हुए पटरियों को एक सीध में लाने का काम करती रही। दिन चढ़ने के साथ बारिश ने थोड़ी थमी तो एक बार काम भी काफी तेजी से बढ़ने लगा। लेकिन दोपहर होते-होते फिर इंद्रदेव ने अपनी भृकुटि तान दी और एक बार फिर बारिश शुरू हो गयी। इस दौरान भी यांत्रिकी विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने काफी मुस्तैदी दिखाई और अपने काम पर डटे रहे। इसके बावजूद उखड़ी पटरियों को मन माफिक आकार में ढ़ालना काफी टेढ़ा काम साबित हो रहा था।
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मौके पर काम अपने अंतिम चरण में है। सोमवार की शाम तक पटरियों को दुरुस्त कर ट्रेनों का परिचालन बहाल कर दिया जाएगा। शुरुआत में सिर्फ डीजल इंजन वाली गाड़ियां चलेंगी। मौके पर पटरियों के दूसरी तरफ खिसकने से बिजली के तारों को भी ठीक लेंथ में स्थापित करना होगा। इसके बाद बिजली से चलने वाली गाड़ियां भी चलने लगेंगी।
-बीके पंजियार, डीआरएम, वाराणसी।