विपरीत मौसम से नुकसान, किसान परेशान
जागरण संवाददाता, बलिया : विगत 10 दिनों से मौसम का रुख कृषि कार्य के लिए अच्छा नहीं चल रहा ह
जागरण संवाददाता, बलिया : विगत 10 दिनों से मौसम का रुख कृषि कार्य के लिए अच्छा नहीं चल रहा है। कभी धूप तो कभी आसमान में बादल, वहीं कभी आंधी संग ओले भी गिरने लग रहे हैं। मौसम को लेकर किसानों के चहरे पर मायूसी छाई हुई है। उनके वर्ष भर की कमाई घर आ पाएगी या सबकुछ मौसम की बेरूखी से बर्बाद हो जाएगा, अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जिला प्रशासन मौसम से हुए किसानों के नुकसान का आकलन भी कर रहा है। मौसम जब भी किसानों को मौका दे रहा है, किसान अपने खेतों की ओर दौड़ जा रहे हैं। जिले में जिन किसानों की फसल अभी खेतों में लगी है, वह किसी भी तरह खेतों से फसल की कटाई करा घर लाने में लगे हैं। जिला कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़े के अनुसार जिले में कुल एक लाख 80 हजार हेक्टेयर में रबी, चना, मंसूर, मक्का आदि की खेती की गई है। अलग-अलग फसलों का स्पष्ट आंकड़ा जिला कृषि विभाग नहीं दे पाया। विभागीय आकड़ों के मुताबिक 60 फीसदी किसान अपनी फसलों की कटाई कर लिए हैं, अब उन्हें मड़ाई करना बाकी है। द्वाबा क्षेत्र के शोभा छपरा निवासी किसान राजदेव ¨सह मानते हैं कि यदि अभी से भी मौसम ठीक होने लगे, तो किसानों का कायाकल्प हो जाएगा। अन्यथा किसानों की बर्बादी तय है। नुकसान के मामले में सब्जी के रूप में परवल की खेती किए किसानों की व्यापक क्षति हुई है। 10 दिनों से उनके उत्पादन पर काफी असर पड़ा है।
--नुकसान का किया जा रहा आकलन
जिले में कृषि कार्य के विपरीत चल रहे मौसम से होने वाले नुकसान पर नजर है। उसका आकलन भी किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो किसानों के नुकसान की भरपाई भी की जाएगी। हालांकि अभी तक जो फसल खेतों में खड़ी हैं, उनका नुकसान नहीं हुआ है। फसलों के बोझ भींगने से अनाज के दाने काले पड़ने का डर जरूर है। यदि अभी से भी मौसम ठीक होने लगे, तो किसान नुकसान से बच जाएंगे।
--जेपी यादव, जिला कृषि अधिकारी, बलिया --द्वाबा में किसानों की टूटी कमर
बैरिया : बुधवार की दोपहर बाद से शाम तक तेज आंधी के साथ रुक-रुक कर हुई बारिश से किसानों के खेतों में खड़ी रबी की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। तेज हवा के कारण खेतों में खड़ी फसलें जमीन पर गिरी हैं। वहीं फसलों की कटाई व मड़ाई ठप हो गई है। किसानों का कहना है कि उनकी 50 प्रतिशत से अधिक फसल बेमौसम की बरसात से नष्ट हो चुकी है, ¨कतु शासन प्रशासन की तरफ से अभी तक नुकसान के आकलन के लिए किसी को भी नहीं भेजा गया। किसान अपनी बात किससे कहे, कोई सुनने वाला नहीं है। इस बीच रबी की फसल के अलावा परवल की फसल पर भी नुकसान पहुंचने की बात किसानों द्वारा बताया जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो किसानों का कर्ज में डूबना तय है।