बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाना चुनौती
जागरण संवाददाता पूर (बलिया) सर्द रात में बेसहारा पशुओं से फसल बचाना किसानों के समक्ष सब
जागरण संवाददाता पूर (बलिया) : सर्द रात में बेसहारा पशुओं से फसल बचाना किसानों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। जनपद में पशु आश्रय केंद्र भले ही खोले गए हैं लेकिन उससे किसानों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। किसानों की फसल पर आक्रमण सबसे ज्यादा नीलगाय और जंगली सूकर कर रहे हैं।
बेसहारा पशुओं की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो रही हैं जिससे उनमें गहरा आक्रोश व्याप्त है। पकड़ी के किसान अजित कुमार सिंह का कहना है कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों को हाईटेक व सशक्त बनाने की बात कर रही है, वही दूसरी तरफ इन बेसहारा पशुओं की वजह से किसानों की मेहनत से लगाई गई ़फसल बर्बाद हो रही है। उनका कहना है कि किसानों के प्रति कोई भी राजनीतिक पार्टी संवेदनशील नही है। जब जब चुनाव आता है तो सारे राजनीतिक दल किसानों के दुख-दर्द की बात तो करते हैं लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद जो भी सरकार आती है सत्ता में वह किसानों के दुख-दर्द को नही देख पाती हैं।
यही कारण है कि किसान अपने को असहाय, बेबस की तरह से ठगा महसूस कर रहे हैं। स्थानीय किसानों ने मांग की है ़िक इन बेसहारा पशुओं की कहीं अन्यत्र व्यवस्था की जाय ताकि किसानों को इस समस्या से निजात मिल सके। नही तो किसान लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध दर्ज कराएंगे।