जिलाधिकारी का तेवर देख सहमे कर्मचारी
डीएससी रजिस्ट्रेशन को लेकर जिलाधिकारी के आदेशों को ताख पर रखने वाले जिम्मेदारों की सांसे अटक गई हैं। जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत के सख्त रवैये ने लापरवाह ग्राम प्रधानों व सचिवों की नींद उड़ा दी है। पंचायतीराज व्यवस्था में व्याप्त स्वेच्छाचारिता से जनपद की विकास यात्रा महीनों से ठप पड़ी हुई थी।
जागरण संवाददाता, बलिया: डीएससी रजिस्ट्रेशन को लेकर जिलाधिकारी के आदेशों को ताख पर रखने वाले जिम्मेदारों की सांसे अटक गई हैं। जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत के सख्त रवैये ने लापरवाह ग्राम प्रधानों व सचिवों की नींद उड़ा दी है। पंचायतीराज व्यवस्था में व्याप्त स्वेच्छाचारिता से जनपद की विकास यात्रा महीनों से ठप पड़ी हुई थी। इस संबंध में दैनिक जागरण ने अपने रविवार के अंक में जनपद में राज्य वित्त का चौदह करोड़ रुपये डंप' शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। खबर छपने के बाद एक्शन मोड में आए जिलाधिकारी ने वस्तुस्थिति की समीक्षा कर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए। सोमवार को समीक्षा बैठक में डीएम का तेवर देख अधीनस्थों सांस फूलती दिखी। ग्राम पंचायतों के कार्याें को सुचारू रुप से कराने के लिए पिछले दो महीनों में कई बार बैठकें की गई। हर बार डीएससी रजिस्ट्रेशन को लेकर व्यापक आदेश दिए गए। बावजूद पंचायती राज विभाग के जिम्मदारों की मनमानी नहीं रुकी और आदेशों को नजर अंदाज करने का सिलसिला चलता रहा। लिहाजा धरातल पर अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई। इस वजह से चतुर्थ राज्य वित्त का चौदह करोड़ रुपये जनपद में डंप पड़ा रहा। जिलाधिकारी ने समीक्षा करते हुए लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों को आड़े हाथों लिया और एक दिन के अंदर डीएससी रजिस्ट्रेशन का कार्य पूरा करने का आदेश दिया। कहा कि जिन पंचायतों की मासिक व दैनिक पुस्तिका बंद नहीं की जाएगी उसे जिला स्तर से बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद उन पंचायतों का बकाया भुगतान प्रधान व पंचायत सचिव को अपने स्तर से करना होगा। वहीं बुधवार को आजमगढ़ में होने वाली समीक्षा बैठक से पूर्व कार्य पूरा न करने वाले लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दे दिया। जिलाधिकारी का तेवर देख जिम्मेदारों की सांसें अटक गई हैं। अब तक आदेश को जेब में लेकर घूमने वाले अब डीएससी रजिस्ट्रेशन व इनिसिएशन कार्य को प्रमुखता से पूरा करने में जुटे हैं। आलम यह है कि ब्लाकस्तरीय कर्मचारी सुबह से ही विकास भवन पर डेरा डाले बैठे है। वजह चाहे जो हो लेकिन लापरवाही की हद पार करने वालों को कार्रवाई का भय सताने लगा है और वे किसी भी परिस्थिति में डीएम का कोपभाजन नहीं बनना चाहते।