जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल
लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर तो रही है लेकिन विभागीय उदासीनता से लोगों को इसका लाभ बहुत कम ही मिल रहा है। कुछ ऐसा ही हाल है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवारी का। जहां पर दवा तो दवा चिकित्सक की भी तैनाती नहीं की गई है। एक फार्मेसिस्ट की नियुक्ति की गई तो वह भी बहुत कम ही नजर आते हैं। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को बिना इलाज ही बैरंग वापस लौट जाना पड़ता है। कोटवारी एक बड़ी जनसंख्या वाला गांव है जिसके चलते अक्सर यहां मरीज इलाज हेतु आते हैं कितु विभागीय उदासीनता के चलते लोगों का समुचित उपचार नहीं हो पाता है। क्षेत्र के अशोक वर्मा शारदानंद पासवान आदि लोगों ने मुख्य चिकित्साधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस स्वास्थ्य केंद्र पर पर्याप्त दवाओं सहित चिकित्सकों की तैनाती की मांग की है।
जागरण संवाददाता, बलिया : आज के समय में सबसे जरूरी यदि कोई सुविधा है तो वह है स्वास्थ्य सेवा। बढ़ते प्रदूषण और बदलते मौसम ने हर घर में रोगी बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखा है। परिवार में यदि छह सदस्य हैं तो उनके दो या तीन लोग सर्दी-खांसी, वायरल बुखार, एलर्जी, गैस, चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी आदि रोगों से पीड़ित हैं। ये सभी सामान्य बीमारियां हैं कितु इन सामान्य बीमारियों के भी समुचित उपचार की व्यवस्था जिला अस्पताल में नहीं हैं। ऐसी बात नहीं कि यहां का निरीक्षण जनप्रतिनिधि या उच्च अधिकारी नहीं करते। उनके बार-बार निरीक्षण के बावजूद भी यहां के हालात में सुधार नहीं दिख रहा है।
जिला अस्पताल में आने के बाद यदि मरीज के पास पैसे नहीं हैं तो उसके रोग भी आसानी से ठीक नहीं होंगे। वजह कि यहां हर डाक्टर कक्ष में मेडिकल संचालकों, पैथोलॉजी सेंटर के संचालकों का कब्जा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन इस बात से पूरी तरह इनकार करता है जबकि अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजन इस बात की पुष्टि खुले तौर पर करते हैं। अस्पताल परिसर में अपने मरीज को लेकर फेफना से आए राकेश कुमार, नगरा की सुमित्रा देवी ने बताया कि यहां सब सेटिग पर चलता है। अस्पताल के डाक्टरों के नाम से कई मेडिकल दुकानें प्रसिद्ध हैं कि फलां डाक्टर के पर्ची की दवा फलां दवा दुकान पर मिलेगी। इस मामले में यदि कोई मरीज अनजान है तो उसे डाक्टर कक्ष में मौजूद लोग भी बता देते हैं कि संबंधित डाक्टर की दवा कहां मिलेगी या फिर जांच कहां होगा।
बताते हैं कि डाक्टरों के बाहरी आमदनी का जरिया भी यही पैथोलॉजी सेंटरों और मेडिकल स्टोर के लोग हैं। इसके अलावा अस्पताल से ही मरीज आवास के लिए सेट हो जाते हैं। अस्पताल के ऐसे हालात के बावजूद अस्पताल के जिम्मेदार कभी भी यह नहीं कहते कि यहां के हालात बहुत ही खराब हैं। सवाल करने वाले का सवाल खत्म होने से पहले ही कह देते हैं, यहां सबकुछ ठीक चल रहा है। आमलोगों के शब्दों में कहा जा सकता है कि जिला अस्पताल की तमाम सुविधाएं झूठ की नींव पर ही खड़ी है। अस्पताल में डाक्टरों की भारी कमी
अस्पताल में डाक्टरों की भी भारी कमी है। हर विभाग में तीन की जगह एक डाक्टर से काम चलाया जा रहा है। एक डाक्टर पर यहां लगभग 100 से 125 मरीजों को देखने की जिम्मेदारी है। मेडिकल वार्ड की देख-रेख कर रहे चिकित्साधिकारी ने बताया कि यहां बड़े वार्ड में 53 बेड हैं वहीं उससे छोटे वार्ड में 30 मरीज रहते हैं। मानक के अनुसार छह मरीज पर एक नर्स रहनी चाहिए कितु यहां मेडिकल वार्ड में 30 बेड के मरीजों की देखरेख मात्र दो नर्स ही करती हैं। हमेशा रहती है दवाओं की कमी
जिला अस्पताल में हमेशा दवाओं की कमी रहती है। यहां पैरासीटामाल सहित अन्य जरूरी दवाएं भी नहीं हैं जो सामान्य रोगों में काम आती हैं। साधारण एलर्जी, बुखार, खांसी, सर्दी आदि है तो उसके लिए भी मरीजों को बाहर से ही दवा लेनी पड़ती है। ऐसे में जो लोग सक्षम नहीं हैं वे अस्पताल की दवा पर ही निर्भर हैं। उन्हें जो भी दवाएं मिल जाए वे उसी में संतुष्ट रहने की कोशिश करते हैं। जन औषधि केंद्र पर नहीं आती डाक्टरों की पर्ची
जिला अस्पताल में गत वर्ष 15 जुलाई को प्रधानमंत्री औषधि केंद्र खुला। इसलिए कि मरीजों को सस्ते दर में महत्वपूर्ण दवाएं मिल जाएंगी लेकिन ऐसा होता नहीं है। यहां की कोई दवा ही अस्पताल से नहीं लिखी जाती। इस औषधि केंद्र पर मौजूद कर्मचारी ने बताया कि वर्तमान में जन औषधि केंद्र पर कुल 200 किस्म की दवाएं मौजूद हैं लेकिन जबसे यह औषधि केंद्र खुला है अस्पताल की एक भी पर्ची यहां नहीं आई। जन औषधि केंद्र के संबंध में शासन से सिर्फ जगह देने का निर्देश हुआ था। उसके बाद इस संबंध में कोई निर्देश शासन स्तर से नहीं आया है। डाक्टर कक्ष में किसी भी बाहरी पैथोलॉजी सेंटर या मेडिकल स्टोर के संचालक को धंधे के सिलसिले में प्रवेश की अनुमति नहीं है। अस्पताल में डाक्टरों की कमी के बीच हर दिन की भीड़ को संतुष्ट करना कितना कठिन काम है, सहज अनुमान लगाया जा सकता है। दवाओं की कमी इसलिए है कि कभी भी डिमांड के अनुसार दवाओं की खेप नहीं पहुंच पाती। बार-बार रिमाइंडर दिया जाता है इसके बावजूद भी इस मामले में अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ।
डा. एस. प्रसाद, सीएमएस।