-असाध्य रोगों के उपचार में कारगर है आयुर्वेद
बलिया आयुर्वेद उपचार हमारी सबसे प्राचीन पद्धति है जो आज भी सबसे कारगर है। बदलती जीवन शैली में हम तुरंत राहत के लिए दूसरी पद्धति की तरफ जा रहे हैं। लेकिन असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रामबाण है। इससे कोई भी बीमारी धीरे-धीरे जड़ से खात्म हो जाती है और कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है। ये बाते आयुर्वेदिक डाक्टर उदय प्रताप सिंह ने कही वह बुधवार को दैनिक जागरण के हेलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जबाब देते सयम कहा। डा. उदय प्रताप ने कहा कि चिकित्सा
जागरण संवाददाता, बलिया : आयुर्वेद उपचार की सबसे पुरानी पद्धति है, जो आज भी कारगर है। बदलती जीवन शैली में व्यक्ति त्वरित राहत के लिए दूसरी पद्धति को अपना रहा है लेकिन असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रामबाण है। इससे कोई भी बीमारी धीरे-धीरे जड़ से खत्म हो जाती है। खास बात यह है कि इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं होता। ये बातें बुधवार को दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कही। पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि चिकित्सा जगत की विभिन्न विधाओं ने खूब तरक्की की, लेकिन आयुर्वेद आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कल था। आयुर्वेदिक दवाओं का भंडार हमारे बीच ही होता है। हमें सिर्फ उसे पहचान करना है। जैसे दूब यौन रोग, लीवर व कब्ज के उपचार में रामबाण है। इसकी जड़ें, तना व पत्तियां सभी को आयुर्वेद में सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। भागदौड़ भरी जिदगी में इंसान कई मानसिक रोगों व तनाव का शिकार हो रहा है। इन समस्याओं का इलाज भी आयुर्वेद के पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से हो रहा है।
प्रस्तुत है प्रश्न के कुछ अंश ....
प्रश्न : शरीर में कुछ दिनों से खजुली हो रही है। दवा खाने से कुछ समय आराम रहता है, फिर हो जाता है।
उत्तर : दवा का नियमित रूप से सेवन करें। राहत न मिलने पर चिकित्सक से सलाह लें।
प्रश्न : पत्नी का गुर्दा का आपरेशन कराया गया है, कुछ दिनों से पीठ में दर्द हो रहा है।
उत्तर : ऐसी स्थिति में दर्द की दवा का सेवन करना नुकसानदायक होगा। इस समय ठंड से बचें और चिकित्सक से सलाह लें।
प्रश्न : टीवी पर विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचार आता है। इनका सेवन कितना कारगर है।
उत्तर : प्रचार देख भ्रमित न हों। किसी भी दवा का सेवन चिकित्सक के सलाह से करें।
प्रश्न : ठंडी में पैर की अंगुलियां सूज जाती हैं।
उत्तर : यह कोल्ड इंजरी की समस्या है। ठंड के मौसम में मोजा व जूता पहन कर रहें। ज्यादा परेशानी होने पर चिकित्सक के सलाह पर दवा लें।
प्रश्न : घुटनों में दर्द रहता है। सुबह एड़ी में भी दर्द होता है।
उत्तर : ठंड से जोड़ों में दर्द होना आम बात है। गर्म पट्टी बांध कर रखें। यूरिक एसिड बढ़ने से एड़ी में दर्द होता है। ज्यादा दिक्कत हो तो डाक्टर से सलाह लें।
प्रश्न : शीघ्र पतन की समस्या है।
उत्तर : यह समस्या आम बात है। इसके कई कारण हैं। चिकित्सकीय की सलाह लें।
प्रश्न : आंव व पेचिस की शिकायत है। पेट साफ नहीं होता।
उत्तर : खानपान में संयम बरते। गर्म पानी का सेवन अधिक से अधिक करें। दिक्कत हो तो चिकित्सक से सलाह लें।
प्रश्न : बायीं किडनी में सिसट हो गया है। क्या आयुर्वेद में इसका उपचार है।
उत्तर : असाध्य रोगों के उपचार में आयुर्वेद सबसे ज्यादा कारगर है। यदि तत्काल राहत चाहते हों तो सर्जन से मिलें अन्यथा आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर दवा लें। लाभ मिलेगा।
प्रश्न : च्वनप्राश बनाने के लिए आंवला व चीनी की मात्रा क्या होनी चाहिए।
उत्तर : च्वनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि है। चरक पद्धति से इसे बनाया जाता है।
प्रश्न : छह माह के बच्चे के स्कीन पर खुस्की की समस्या है।
उत्तर : बाजारु तेल व पाउडर का प्रयोग करने से बचें। चिकित्सक की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें।
प्रश्न : कुछ दिनों से बुखार है। दवा खाने पर आराम मिलता है फिर हो जाता है।
उत्तर : इसे हल्के में न लें, तत्काल चिकित्सक से सलाह लें। इन लोगों ने पूछे प्रश्न
सौरभ तिवारी तिखमपुर, प्रियंका सिंह जगदीशपुर, स्वेता सिंह हरपुर मिढ्ढी, जर्नादन पाण्डेय तिखमपुर, हरिकेश यादव फतेहपुर, प्रियंका सिंह जगदीशपुर, मनोज सिंह रसड़ा, मनोज कुमार सिकन्दरपुर, घनश्याम यादव इंदरपुर, संजीव जगदरा, माधुरी यादव नगरा, रूपेश गुप्ता बांसडीह, कृष्णा कुमार तिखमपुर, दिनानाथ पाण्डेय माधोपुर, अक्षयवर नाथ पाण्डेय ढ़ेकवारी नगरा, दुर्गा प्रसाद तिखमपुर, आलोक चौधरी सिकन्दरपुर।