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जिला महिला अस्पताल में आटो बायोकेमिस्ट्री एनलाइजर मशीन खराब, जांचें बंद

जागरण संवाददाता बलिया शहर के पश्चिमी छोर पर माल्देपुर निवासी संगीता साहनी की तबीयत खरा

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 09:36 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 09:36 PM (IST)
जिला महिला अस्पताल में आटो बायोकेमिस्ट्री एनलाइजर मशीन खराब, जांचें बंद
जिला महिला अस्पताल में आटो बायोकेमिस्ट्री एनलाइजर मशीन खराब, जांचें बंद

जागरण संवाददाता, बलिया : शहर के पश्चिमी छोर पर माल्देपुर निवासी संगीता साहनी की तबीयत खराब थी। गुरुवार को दोपहर करीब सवा 12 बजे वह अपने स्वजनों के साथ जिला महिला चिकित्सालय पहुंची। हालांकि अन्य दिनों की अपेक्षा आज भीड़ कम थी। उन्होंने महिला चिकित्सक को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें खून की जांच कराने की सलाह दी। पर्ची लेकर वह पैथोलाजी पहुंचीं तो वहां पर कर्मचारियों ने दो तरह की जांच किया, लेकिन अन्य जांचें बाहर से करवाने के लिए कहा। जब बाहर जांच हुई तो उनके नौ सौ रुपये खर्च हो गए। बकौल संगीता, उनके पास पैसे नहीं थे तो कर्ज लेकर अस्पताल पहुंचीं थी। दरअसल यह समस्या सिर्फ संगीता की नहीं है, बल्कि इन जैसे 150 मरीज रोज परेशान हो रहे हैं। कारण कि महिला अस्पताल की आटो बायोकेमिस्ट्री एनलाइजर मशीन महीनों से खराब है। इसके चलते खून की जांच बंद है। जनता को निजी लैबों के भरोसे निर्भर होना पड़ रहा है। समस्या खास तौर पर गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों को ज्यादा हो रही है। समस्या डेढ़ महीने पुरानी है। मशीन को बनाने में सिर्फ छह हजार रुपये का खर्च आएगा। मशीन का लैंप खराब है। इससे खून की रीडिग होती है। समस्या को दूर करने के लिए बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है, लेकिन लखनऊ की साइरेक्स कंपनी इसे ठीक कराने में लापरवाही बरत रही है। लिहाजा, मधुमेह, संक्रमण, किडनी व लीवर समेत दर्जन भर तरीके की जांचें नहीं हो पा रही हैं। मरीजों को एक हजार से 1500 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। बच्चों की जांच पूरी तरह बंद है। महिला अस्पताल में रोजाना चार से पांच सौ मरीजों की ओपीडी है, 40 प्रतिशत लोगों को खून की जांच लिखी जाती है। इस समय प्रेग्नेंसी व ब्लड ग्रुप की मैनुअल जांचें ही हो पा रहीं हैं।

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केस 1 : गड़वार निवासी गुड़िया देवी तीन माह की गर्भवती ननद शंकुतला देवी को चिकित्सक से चेकअप करवाने आईं। अल्ट्रासांउड व खुन की जांच उन्हें निजी पैथालाजी से करानी पड़ी। दोनों जांच में करीब 1800 रुपये लग गए। बताया कि जितना पैसा लाई थी, सब खत्म हो गया। पास में घर जाने का किराया ही बचा है। दवा भी बाहर से खरीदना पड़ा। केस 2 : सीताकुंड निवासी मंजू तिवारी के नवजात बच्चे को बुखार था। वह उसे लेकर बाल रोग विशेषज्ञ से मिलीं। डॉक्टर ने खून की जांच लिखी। बाहर पैसा ज्यादा लग रहा था, इसलिए वह बिना जांच कराए ही घर लौट गईं। बताया कि इतना पैसा उनके पास नहीं था इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए वह आईं थीं। ऐसी कई महिलाएं लौट जा रही हैं।

---------------------- साइरेक्स कंपनी की लापरवाही पर करेंगे कार्रवाई

जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. सुमिता सिन्हा ने बताया कि आटो बायोकेमिस्ट्री एनलाइजर मशीन की मरम्मत के लिए साइरेक्स कंपनी को पत्र लिखा गया है। वह मशीन ठीक नहीं कर रहे हैं। उनकी लापरवाही से समस्या विकट हो गई है। कंपनी के इंजीनियर दो दिन पहले आए थे, लेकिन मशीन के खराब उपकरण को बदला नहीं गया। जबकि इसका बजट भी स्वीकृत कर दिया गया है। सिर्फ छह हजार रुपये खर्च आना है। इसी सप्ताह समस्या दूर करने की मोहलत मांगी गई है।


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