रूट निर्धारण के बाद भी जाम से मुक्ति नहीं
नगर में संचालित ई-रिक्शा पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ती चली जा रही है। प्रतिदिन इनकी बढ़ती संख्या आम जनता के लिए अब परेशानी का सबब बनती जा रही है। इनका रूट निर्धारण होने के बाद भी इनके परिचालन की मनमानी परेशानी का सबब बनती जा रही है। हालत यह है कि चित्तू पांडेय चौराहा व रेलवे स्टेशन के सामने इनका अस्थाई स्टैंड खुल गया है। जहां पर अक्सर बड़े वाहन गुजरते है। ई-रिक्शा वाले जाम लगने के बाद भी सड़क से ई-रिक्शा नहीं हटाते। स्थिति यह है कि शहर के अंदर किसी मार्ग पर इनकी संख्या क्या होगी और कहां खड़ा कर सवारी बैठाएंगे, इसका निर्धारण नहीं हो सका।
जागरण संवाददाता, बलिया : नगर में संचालित ई-रिक्शा पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ती चली जा रही है। प्रतिदिन इनकी बढ़ती संख्या आम जनता के लिए अब परेशानी का सबब बनती जा रही है। इनका रूट निर्धारण होने के बाद भी इनके परिचालन की मनमानी परेशानी का सबब बनती जा रही है। हालत यह है कि चित्तू पांडेय चौराहा व रेलवे स्टेशन के सामने इनका अस्थाई स्टैंड खुल गया है। जहां पर अक्सर बड़े वाहन गुजरते हैं। ई-रिक्शा वाले जाम लगने के बाद भी सड़क से ई-रिक्शा नहीं हटाते। स्थिति यह है कि शहर के अंदर किसी मार्ग पर इनकी संख्या क्या होगी और कहां खड़ा कर सवारी बैठाएंगे, इसका निर्धारण नहीं हो सका।
तत्कालीन एसपी प्रभाकर चौधरी ने इस दिशा में सार्थक पहल किया था। अंदर आने का स्थल निर्धारित करने के साथ ही संख्या भी निर्धारित किया था। इस पर कठोरता से अमल भी हुआ। अब रूट निर्धारण तो है लेकिन वे कहां से सवारी उठाएंगे यह निर्धारण नहीं है। अब आलम यह है कि हर मार्ग पर ई-रिक्शा की भरमार हो गई है। इनकी बढ़ती संख्या से अक्सर जाम की स्थिति बन जा रही है। एक सवारी गाड़ी के आने पर कई ई-रिक्शा एक साथ जैसे-तैसे लगाकर खड़े कर देते हैं। उसी वक्त बड़े वाहन गुजरते समय जाम की स्थिति पैदा हो जा रही है। सवारी बैठाने के चक्कर में वह रिक्शा को हटाना भी उचित नहीं समझते हैं। इसके चलते सबसे खराब स्थिति बहादुरपुर, रेलवे स्टेशन, कुंवर ¨सह चौराहा, एनसीसी चौराहा आदि स्थानों पर है। सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रैफिक पुलिस के खड़े होने के बाद ई-रिक्शा खड़ी कर सवारी भरते हैं।