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प्रशासनिक लापरवाही बेजुबानों पर भारी, तीन बछड़ों की मौत

प्रशासनिक लापरवाही बेजुबानों पर भारी तीन बछड़ों की मौत

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 12:02 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:03 AM (IST)
प्रशासनिक लापरवाही बेजुबानों पर भारी, तीन बछड़ों की मौत
प्रशासनिक लापरवाही बेजुबानों पर भारी, तीन बछड़ों की मौत

जासं, नगरा ( बलिया) : क्षेत्र के रघुनाथपुर में बने अस्थाई गो आश्रय केंद्र में बेजुबान दाने-दाने को तरस रहे हैं। मंगलवार को तीन बछड़ों की मौत हो गई। बछड़ों की मौत के बाद गोवंश में बीमारी फैलने की आशंका बढ़ गई है। बरसात के बाद इस गो आश्रय केंद्र में 125 बेसहारा बछड़े रखे गए थे। इससे पूर्व बछड़ों की संख्या 47 थी। बरसात के बाद गोवंश की संख्या अचानक बढ़ गई।

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इस केंद्र में दु‌र्व्यवस्था इस कदर है कि भूसा की जगह पुआल से ही काम चलाया जा रहा है। इतनी अधिक संख्या में रखे गए गोवंश का भरण-पोषण ठीक ढंग से नही हो पा रहा है। शासन की ओर से प्रति गोवंश दाना-पानी के लिए 30 रुपये दिए जाते हैं। कुल गोवंश की संख्या का 70 प्रतिशत ही धनराशि मिलती है। शेष 30 प्रतिशत जनसहयोग से खर्च होता है। बछड़ों की देख-रेख के लिए ब्लाक स्तर पर टीम बनाई गई है जिसमें बीडीओ व पशु चिकित्साधिकारी को शामिल किया गया है। गांव स्तर पर ग्राम प्रधान व सचिव की जिम्मेदारी है। सर्वाधिक चकित करने वाली बात यह है कि गोवंश की मौतों के बाद पशुपालन विभाग सक्रिय होकर मामले की लीपापोती करने में जुट जाता है।

इस बाबत बीडीओ राम आशीष का कहना है कि इस समय शौचालय व मनरेगा के कार्यों को लेकर व्यस्तता है। बछड़ों के मरने की जानकारी नहीं है। गो आश्रय केंद्र में 125 गोवंश रखे गए हैं। इसके लिए बजट उपलब्ध है।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के सख्त निर्देश के बावजूद जिला प्रशासन गोवंश व गो आश्रय केंद्रों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह उदासीन व बेपरवाह बना हुआ है। कहीं गोवंश के पेट भरने को भोजन नहीं है तो कहीं सिर छिपाने को छज्जा। शायद यही कारण रहा कि मंगलवार को गो आश्रय केंद्र में तीन बछड़ों की जान चली गई। गत दिनों मुख्यमंत्री ने गो आश्रय केंद्रों के रख-रखाव में लापरवाही बरतने के आरोप में महराजगंज के जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय को सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया था क्योंकि जांच के दौरान गो आश्रय केंद्र में 2500 गोवंश होने के बजाय वहां सिर्फ 954 गोवंश ही पाए गए थे।


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