कुपोषण से मुक्ति दिलाने में प्रशासन विफल
कुपोषण मुक्ति के लिए यूं तो विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है कितु धरातल पर इसका असर न के बराबर दिख रहा है। ग्रामीण स्तर पर संचालनकर्ता इसके प्रति संवेदनशील नहीं दिख रहे हैं तभी तो आज भी मुरली छपरा ब्लाक में अनेक कुपोषित बच्चे दिख जाएंगे जबकि उनके पोषण के लिए वितरित किए जाने वाले खाद्य सामग्रियों को मवेशियों को खिला दिया जा रहा है।
जासं, दोकटी (बलिया): कुपोषण मुक्ति के लिए यूं तो विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है कितु धरातल पर इसका असर न के बराबर दिख रहा है। ग्रामीण स्तर पर संचालनकर्ता इसके प्रति संवेदनशील नहीं दिख रहे हैं, तभी तो आज भी मुरली छपरा ब्लाक में अनेक कुपोषित बच्चे दिख जाएंगे जबकि उनके पोषण के लिए वितरित किए जाने वाले खाद्य सामग्रियों को मवेशियों को खिला दिया जा रहा है। फलस्वरूप कुपोषित बच्चों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। बाल विकास परियोजना विभाग में कुपोषण मुक्ति के लिए पुष्टाहार, दुध, घी आदि की व्यवस्था की गई है लेकिन विभाग के जिम्मेदार कुपोषण से मुक्ति दिलाने की दिशा में ऐसा कोई अभियान नहीं चलाते जिससे कुपोषित बच्चों को रहते मिल सके। इससे पूर्व प्रत्येक महीने विशेष अभियान चलाकर कुपेषित बच्चों को चिह्नित किया जाता था और उसका कुपोषण मुक्ति के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाता था। जब तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी के बालाजी ने इस अभियान के तहत मुरली छपरा ब्लाक को गोद लेकर कुपोषण मुक्ति के लिए संकल्प लिया था, उस समय कुपोषित बच्चों को खोजकर समय-समय पर कुपोषण मुक्ति के लिए अभियान चलाया गया। उनके स्थानांतरण के साथ ही उक्त अभियान पर विराम लग गया।