डंप कर रखे थे 64 करोड़, अब खर्च करने की आपाधापी
डीएम ने लगाई फटकारडीएम ने लगाई फटकारडीएम ने लगाई फटकारडीएम ने लगाई फटकारडीएम ने लगाई फटकारडीएम ने लगाई फटकार
सुधीर तिवारी, बलिया
मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी द्वारा बलिया के पंचायती राज विभाग के कार्यो की समीक्षा के दौरान जनपद में स्वच्छ भारत मिशन के लगभग 64 करोड़ रुपये ग्राम पंचायतों के ग्राम निधि 6 के खाते में डंप रहने को लेकर मंडलायुक्त के तीखे तेवर ने अधिकारियों के होश उड़ा दिए है। बड़ी मात्रा में शौचालयों के लाभार्थियों के खाते में धनराशि का अंतरित होना बकाया देखकर नाराज मण्डलायुक्त ने तत्काल लाभार्थियों के बकाया धनराशि को उनके खाते में ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं।
शौचालय निर्माण की प्रगति पर सबसे पहले कार्रवाई की जद में जिला पंचायत राज अधिकारी का आना तय था। लेकिन नवागत डीपीआरओ शशिकांत पांडेय को मंडलायुक्त ने इसी बात पर एक मौका और दे दिया कि उन्हें कार्यभार ग्रहण अभी बहुत कम समय हुआ है। इसके साथ ही पूरा अमला अब तेजी से शौचालय की धनराशि के अंतरण में जुटा हुआ है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार किन कारणों से 64 करोड़ की धनराशि जिले में डंप पड़ी रही और किसी जिम्मेदार ने इस तरफ ध्यान नही दिया। आखिर कैसे सरकार के इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम की अनदेखी की जाती रही और जिम्मेदार बैठकों पर बैठक और समीक्षा पर समीक्षा करते रहे।
मंडलायुक्त की बैठक से लौटते ही डीपीआरओ ने अपनी कलम चलाई और तत्काल समस्त ब्लाकों के एडीओ पंचायत को कमिश्नर के आक्रोश का हवाला देते हुए आदेश जारी किया कि तीन दिवस के अंदर नियमानुसार संबंधित लाभार्थियों के खाते में शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि भेज दी जाए। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजनांतर्गत ग्राम पंचायतों के ग्राम निधि-6 में अवशेष के अंतर्गत शौचालय निर्माण की प्रगति का विवरण निर्धारित प्रारूप पर तत्काल उपलब्ध कराया जाए। अपने आदेश में डीपीआरओ ने समस्त एडीओ पंचायत व सचिवों को आगाह किया है कि यदि इस संबंध में कोई लापरवाही पाई गई तो तत्काल आपके विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित कर दी जाएगी। डीपीआरओ के आदेश के बाद जहां एक तरफ शौचालयों के लाभार्थियों के बकाया प्रोत्साहन राशि को तेजी से उनके खाते में भेजा जा रहा है। वहीं खाते में बची भारी भरकम धनराशि के बंदरबांट की योजना भी शुरू हो गयी है। एक झटके से सभी आवेदित सभी सही गलत लाभार्थी पात्रता की श्रेणी में आ चुके है और एक बार फिर स्वच्छ भारत मिशन के करोड़ों रुपयों को ठिकाने लगाने की योजना मूर्त रूप में आने लगी है। महज कुछ घंटों व दिनों में करोड़ों रुपयों के पात्रों का चयन विभाग कैसे करता है यह भी देखना अभी बाकी है। वर्षो से रुका काम तीन दिन में कैसे होगा
खुद पर कार्रवाई की तलवार लटकने के बाद तीन दिवस में सब ठीक करने का आदेश देने वाले अधिकारी को इस बात की पुष्टि करनी होगी कि आखिरकार किस वजह से शौचालय निर्माण के पैसों को रोक कर रखा गया था। इसके पीछे कारण क्या थे। कहीं ऐसा तो नही की इस आपाधापी में अपात्रों को एक बार फिर से पात्रता की सूची में शामिल कर दिया जाए। जिम्मदारों को इस बात की समीक्षा करनी होगी कि आखिरकार किस स्तर से योजना के क्रियान्वयन में कमी आ रही है। कहां से वास्तविक समस्या का जन्म हो रहा है लेकिन समस्याओं को चिन्हित कर उसपर प्रभावी कार्रवाई करने का समय किसके पास है ।
यहां तो सिर्फ उच्चाधिकारियों से निर्देश प्राप्त कर मातहतों को आदेश कर देना ही पूरी तरह कार्य संस्कृति बन चुकी है। ऐसे में इस तरह की समस्याओं का सामने आना लाजिमी है। फिलहाल मंडलायुक्त की तलवार डीपीआरओ ओर तनी हुई है और डीपीआरओ की तलवार अपने मातहतों पर देखना होगा की मामले में तलवारें चलती हैं या नियमानुसार काम की गति आगे बढ़ती है।