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30 प्रतिशत आबादी खुले में जाती है शौच, फिर भी ओडीएफ घोषित

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By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 04:53 PM (IST)
30 प्रतिशत आबादी खुले में जाती है शौच, फिर भी ओडीएफ घोषित
30 प्रतिशत आबादी खुले में जाती है शौच, फिर भी ओडीएफ घोषित

जागरण संवाददाता, दोकटी (बलिया) : वाहवाही लूटने के लिए ब्लाक स्तरीय अधिकारियों ने ओडीएफ से संबंधित रिपोर्ट फर्जी भेज दी। इसके बाद आधिकारिक रूप से गांव ओडीएफ घोषित कर दिए गए। कितु हकीकत में कोई गांव ओडीएफ हुआ ही नहीं। यह हाल है मुरली छपरा विकास खंड के अधिकांश गांवों का। 30 प्रतिशत से अधिक आबादी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है क्योंकि अभी तक उन्हें शौचालय की सुविधा सरकार द्वारा प्रदान ही नहीं की गई है।

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यह बात कोई और नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक ग्राम प्रधान कह रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से ग्राम पंचायत स्थलीय ओडीएफ नहीं हुआ। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में उन सभी परिवारों को शौचालय शासन स्तर से प्रदान करना था, जिसके घर शौचालय नहीं है। शासन के निर्देश के बावजूद इस योजना को प्रधान तक पहुंचने में एक वर्ष का समय लग गया। योजनाओं के संबंध में बीडीओ की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ग्राम प्रधानों को नहीं बुलाया जाता।

बैठक में बीडीओ के अलावा सचिव, रोजगार सेवक व सफाईकर्मी ही मौजूद रहते हैं और मनमाने ढंग से योजनाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट दे देते हैं। यही वजह है कि पंचायतें ओडीएफ घोषित होने के बाद भी अधिकांश घरों में अभी तक शौचालय नहीं मिल सका है या फिर पहली किश्त के बाद दूसरी किश्त का पैसा नहीं गया है, जिससे शौचालय अधर में लटका हुआ है।


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