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17 स्थानों पर जलाए जाते हैं अलाव

ठंड बढ़ने के साथ ही अब लोग अलाव की आवश्यकता भी महसूस कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:03 AM (IST)
17 स्थानों पर जलाए जाते हैं अलाव
17 स्थानों पर जलाए जाते हैं अलाव

जागरण संवाददाता, बलिया : ठंड बढ़ने के साथ ही अब लोग अलाव की आवश्यकता भी महसूस कर रहे हैं। ठंड को देखते हुए नगर में अलाव जलाने की व्यवस्था भी होती है। शहर के व्यस्ततम व मुख्य चौराहों पर अलावा जलाए जाते हैं। इसके लिए नगर पालिका ने मुख्य रूप से 17 स्थानों का चयन किया है। वहीं आवश्यकता अनुसार वार्डो में सभासद व जनता की मांग पर अलाव जलाने की संख्या में बढ़ोत्तरी भी होती है।

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इसके लिए नगर पालिका के पास ढाई से तीन लाख रुपये तक खर्च हर साल होता है। इसके अलावा अस्थाई रैन बसेरा का भी निर्माण होता है। जहां असहाय लोग कड़ाके की ठंड में शरण लेते है। वैसे नगर के अंदर एक स्थाई रैन बसेरा है। जहां रहने की सुविधा बेहतर है। इसके अलावा रोडवेज व पशु चिकित्सालय के पास रैन बसेरा बनाया जाता है। इसमें पुआल डालकर रजाई व गद्दा की व्यवस्था की जाती है। वहीं इसके पास ही अलाव भी जलाया जाता है। नगर के चित्तू पांडेय चौराहा, रेलवे स्टेशन के सामने, जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, शहीद पार्क चौक, बालेश्वर मंदिर, भृगु मंदिर, कदम चौराहा, कलेक्ट्रेट आदि स्थलों पर अलावा जलाए जाते है। नगर पालिका कड़ाके की ठंड शुरू होते ही इन स्थलों पर प्रतिदिन शाम को अलावा की व्यवस्था करती है।

वर्जन

कड़ाके की ठंड के बीच नगर के मुख्य चौराहों व बाजार में अलावा की व्यवस्था की जाती है। जनता व सभासदों की मांग पर वार्डों में भी अलावा जलाया जाता है। इसके अलावा कर्मचारियों की तैनाती भी की जाती है।

-दिनेश विश्वकर्मा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद।


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