थारू महिलाओं के जज्बे के आगे मोम हुए हालात
योगेंद्र मौर्य, बहराइच : ¨जदगी की पगडंडी पर चट्टान की मा¨नद आड़े आए दुश्वारियों को थारू गां
योगेंद्र मौर्य, बहराइच : ¨जदगी की पगडंडी पर चट्टान की मा¨नद आड़े आए दुश्वारियों को थारू गांव रमपुरवा की महिलाओं ने अपने जज्बे के बूते मोम बना दिया। विपरीत हालातों के बावजूद इन थारू महिलाओं ने न सिर्फ अपनी घर-गृहस्थी संभाली बल्कि समूह का गठन कर दूसरी महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा। अपने जीवट के बूते कौशल दिखाते हुए इन महिलाओं ने आज अपनी आर्थिक हालत भी सुधारी है और आसपास के गांव में नारी-सशक्तीकरण का नारा भी बुलंद कर रखा है।
जिला मुख्यालय से 110 किमी व ¨महीपुरवा ब्लॉक से 50 किमी की दूरी पर फकीरपुरी का रमपुरवा गांव है। चारों ओर से जंगल से घिरा है। बीहड़ इलाके की सीमा देवी आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। खेती-बाड़ी में हाथ बंटाने के साथ जंगल से लकड़ी बीनकर आजीविका चला रही थी। इसी दौरान राष्ट्रीय आजीविका मिशन के बिहार से आए ब्लॉक एंकर परसन नंदकिशोर शाह 26 नवंबर 2015 को गांव में पहुंचे। सीमा की उनसे मुलाकात हुई। उनके कहने पर जनजाति की महिला ने सीमा स्वयं सहायता समूह का गठन किया। समूह में गांव की सविता, राजरानी, मंजू, संगीता व जूली समेत दर्जन भर महिलाओं को जोड़कर स्वावलंबन के मंत्र का जाप शुरू किया। समूह के रिवाय¨लग फंड से इन महिलाओं ने चिप्स का काम शुरू किया। मेहनत और अपने जज्बे के बूते बैंक से लिए गए ऋण को सीमा ने वापस कर दिया। साथ ही चिप्स का व्यवसाय थोक भाव में शुरू की। सीमा बताती हैं कि चिप्स बेचकर प्रतिदिन 300 से लेकर 400 रुपये तक कमा लेती है। चिप्स की मांग आसपास गांवों के अलावा नेपाल तक है। इनकी चिप्स को लोग खूब पसंद करते हैं। कल तक जंगल में लकड़ी बीनने वाली इस महिला के पास आज किराने की दुकान भी है। परिवार के खर्च के साथ बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाती भी है। टके-टके को मोहताज सीमा आज खुशहाल की ¨जदगी जी रही है। साथ ही समूह से जुड़ी सविता, राजरानी, मंजू, संगीता व अन्य महिलाएं भी स्वावलंबी बनकर परिवार की गाड़ी चला रही हैं। सीमा कहती हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस इलाके में वह चिप्स की फैक्ट्री लगाकर महिलाओं को जोड़कर स्वावलंबी बनाऊंगी।