इंद्रियों का दमन कर ले वहीं सुदामा : महामंडलेश्वर
बहराइच : श्री सिद्धनाथ पीठ में पित्र दोष निवारण के लिए चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन
बहराइच : श्री सिद्धनाथ पीठ में पित्र दोष निवारण के लिए चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण भक्त व बालसखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया।
कथा व्यास वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरि जी महाराज ने श्रीकृष्ण व सुदामा के मित्रता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार कृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी, परात को हाथ छुयो नाही, नैनन के जल से पग धोए। उन्होंने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आवभगत में इतने विभोर हो गए कि द्वारिका के नाथ हाथ जोड़कर और लिपट कर अश्रु भरे नेत्रों से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से हमे यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में धन, दौलत आड़े नहीं आती। महामंडलेश्वर ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कहा कि स्व दामा यस्य स: सुदामा अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। इस दौरान कृष्ण और सुदामा के मिलन की झांकी का दृश्य देखकर स्थल पर मौजूद भक्तगणों के आंखों में आंसू छलक आए। राधे-कृष्ण के जयकारों से कथा स्थल गुंजायमान हो उठा। कथा मेजबान प्राचार्य सुशील चंद्र तिवारी, ममता तिवारी, दिनेश गुप्ता, सुमन गुप्ता, आदित्यभान ¨सह, हृदयेश पांडेय, उमाकांत गोस्वामी, ¨रकू द्विवेदी, केके सक्सेना, माला सक्सेना, विजय कुमार गुप्ता, सुमन राजू, मुक्तिनाथ, पुष्पा मिश्रा, किशोर गिरि, सुंदर लाल त्रिपाठी, ओमप्रकाश तिवारी, सिद्धार्थ पांडेय, प्रदीप गोस्वामी, सौरभ पांडेय व अन्य मौजूद रहे।