मूर्तिकारी के हुनर से बनाई 'स्वावलंबन' की प्रतिमा
संजय सिंह महसी (बहराइच) नारी शक्ति का स्वरूप होती हैं। वे ठान लें तो कोई काम मुश्कि
संजय सिंह, महसी (बहराइच) : नारी शक्ति का स्वरूप होती हैं। वे ठान लें तो कोई काम मुश्किल नहीं है। सपना ऐसी ही एक नारी शक्ति हैं, जिन्होंने मूर्तिकारी के हुनर से आर्थिक स्वावलंबन की प्रतिमा बनाई। आज वह देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाने में माहिर बन गई हैं। इससे उनकी आजीविका चल रही है। साथ ही प्रति वर्ष एक लाख रुपये तक की बचत भी हो रही है।
पड़ोसी देश नेपाल के धनीरामगढ़ी में पली बढ़ी सपना का विवाह 12 वर्ष पूर्व महसी के रायपुर थैलिया निवासी नरेश उर्फ अरुण कुमार स्वर्णकार के साथ हुआ था। बकौल सपना, उस समय परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अभावग्रस्त जीवन में रोजी-रोटी का कोई जरिया नहीं था। वह हुनरमंद थीं। उसका सदुपयोग करना चाह रहीं थीं। पति का साथ मिला तो हौसले को पंख लग गए। फिर क्या, सपना पति के साथ गांव-गांव जाकर शक्ति स्वरूपा के विभिन्न रूपों को आकार देने लगीं। 10 वर्षों से वह सीमेंट, मौरंग, बालू और लोहे की सरिया व तार से मूर्ति बनाती हैं। भगवान शंकर, विष्णु, हनुमान, राम, लक्ष्मण, सीता, पार्वती, दुर्गा माता समेत हर देवी-देवताओं की मूर्तियों को बनाने की उनमें बेहतरीन कला है।
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पिता से सीखा हुनर :
सपना ने बताया कि नेपाल के धनीराम गढ़ी निवासी पिता कुशल मूर्तिकार थे। उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां नेपाल के अलावा भारत के विभिन्न जिलों में आती थीं। पिता इस दुनिया में नहीं हैं, फिर भी उनका हुनर जिदा है। उनके सिखाए हुनर से वह दो बेटे लकी (8) व सचिन (6) की पढ़ाई-लिखाई के साथ परिवार का खर्च चलाती हैं।