इंतजार की हो गई इंतहा, नहीं मिला आवास
2009 में आवास का शुरू हुआ था निर्माण कई लाभार्थी सिधार गए स्वर्ग कई पलायन चित्र परिचय 21 बीआरएच 1
संसू, बहराइच : वर्ष 2009 का वह दिन याद है,जब गुल्लाबीर के पास झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों के चेहरे पर पक्का घर मिलने की खबर से खुशियां छाई थी। रियायती दर पर पक्के घर के सपने को साकार करने के लिए गरीबों ने पाई-पाई जुटाई रकम ही नहीं, कर्ज लेकर अंशदान जमा किया था। घर मिलने के इंतजार में कई स्वर्गवासी हो गए तो कई परिवार पलायन कर गए तो कुछ आज भी सुबह-शाम खड़ी इमारतों को निहार रहे हैं। 10 बरस बीत गए, दो सरकारें बदल गई, लेकिन नहीं समाप्त हुई तो गरीबों के पक्के आवास के सपने का इंतजार।
शहरी क्षेत्र में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले गरीब परिवारों को रियायती दर पर पक्के आवास देने के लिए राजीव गांधी आवासीय योजना के तहत वर्ष 2008 में 336 आवासों के निर्माण की मंजूरी दी थी। राजकीय निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया गया था। 23 फरवरी 2009 को निर्माण शुरू हुआ था। साथ ही पात्र गरीबों का सर्वे कराया गया। आवास लागत का 12 फीसदी रकम भी चयनित लाभार्थियों से जमा करा ली गई। अब तक सात करोड़ करोड़ खर्च कर 276 भवन तैयार हो गए। बावजूद जिन गरीबों के सपने को पंख लगाने के लिए करोड़ों खर्च हुआ वे खुद को 10 सालों से ठगे महसूस कर रहे हैं अब कुछ भी हो करोड़ों की खड़ी इमारत बदहाल व्यवस्था की एक नजीर बनकर रह गई है। बढ़ा बजट, घटी आवास की संख्या
ऐसा नहीं कि आवास योजना को लेकर गरीबों ने आवाज न उठाई हो। समय-समय पर जांच भी हुई। कई बार बजट संशोधन कर बढ़ाया गया। अंत में 336 के बजाय 276 आवास ही पूरे हो सके। एक आवास की कीमत तीन लाख
पीडी डूडा संजय सिंह ने बताया कि आवास की कीमत ढाई से तीन लाख रुपये रखी गई है। 12 फीसद रकम अंशदान के रूप में जमा हुई है। 50 केंद्र व 38 फीसद रकम राज्य सरकार को देना है। 200 लाभार्थी होंगे, जिनका चयन करना है। इसकी जांच हो रही है।