पुलवामा आतंकी हमले से पूर्व सैनिकों में आक्रोश
संसू, महसी(बहराइच) : कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकी घटना से समूचा देश गमगीन है। आम जन
संसू, महसी(बहराइच) : कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकी घटना से समूचा देश गमगीन है। आम जनमानस में आतंकवादियों के इस कायराना हरकत की टीस है। वहीं पूर्व सैनिको में भी बदले की आग धधक रही है।
महसी तहसील के गनियापुर निवासी पूर्व सैनिक जेपी मिश्र 59 सावन देख चुके हैं। अपने सैनिक साथियों की शहादत पर बेहद दुखी हैं। मिश्र की पहली तैनाती इन्फेंट्री (लड़ाकू दस्ता) के सिग्नल कोर में कश्मीर के लाल चौक में हुई थी। छह वर्षों तक कश्मीर में रहने के बाद उनकी तैनाती लखनऊ, दिल्ली, नागालैंड व द्वारिका में हुई। उन्होंने पंजाब में ब्लू स्टार ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया। उनका कहना है कि कारगिल युद्ध के दौरान उनकी तैनाती बाड़मेर व जैसलमेर में रही। वे कहते हैं कि अब भी अगर सरकार उन्हें बुलाए तो वे मोर्चे पर डटने के लिए तैयार है। बेड़नापुर निवासी डोगरा रेजिमेंट में नायक से पद से सेवानिवृत्त हुए 65 वर्षीय खुशीराम वाल्मीकि उड़ी, बारामूला, कश्मीर, श्रीनगर में रह चुके है। ब्लू स्टार ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा पवन वाल्मीकि वर्तमान में सीआईएसएफ झारखंड में तैनात है। पैरालाइसिस अटैक से पीड़ित गनियापुर निवासी पूर्व सैनिक ओंकारेश्वर शरण शुक्ल पुलवामा की घटना से दुखी हैं। राजपुताना राइफल्स में सैनिक के तौर पर श्रीशुक्ल 1965 की लड़ाई लड़ चुके हैं। उनका कहना है कि वीर सपूतों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। इसके लिए चाहे जो कुछ भी करना पड़े।