या हुसैन की सदाओं से गूंजने लगे इमामबाड़े
बहराइच : मुहर्रम का चांद देखते ही शहर का वातावरण गमगीन हो गया। नगर के इमामबाड़ों से
बहराइच : मुहर्रम का चांद देखते ही शहर का वातावरण गमगीन हो गया। नगर के इमामबाड़ों से या हुसैन की सदाएं गूंजने लगी। गम का महीना माहे मोहर्रम शुरू होते हुए नगर का वातावरण गमगीन हो गया। महिलाएं व पुरुष शोक में डूब गए। मोहर्रम का चांद देखते ही महिलाओं ने चांद रात के नौहे पढ़े। इसी के साथ नगर में दो माह आठ दिन की अजादारी का आगाज हो गया।
मुस्लिम धर्मावलंबियों में मुहर्रम का चांद निकलते ही हर तरह के मांगलिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लग गया। शिया बाहुल्य क्षेत्रों में मातमी धुन व या हुसैन की सदाएं गूंजने लगी। घर अजाखानों में परिवर्तित हो गए। इमामबाड़े सज गए और अजाखानों व इमामबाड़ों में अलम, ताबूत व ताजिए रख लिए गए। इसी के साथ मुहर्रम का आगाज हो गया। हर साल की तरह इस साल भी नगर में होने वाली 10 रोजा अशरह-ए-मजलिस के कार्यक्रम घोषित कर दिए गए। यह मजलिसें सुबह से लेकर देर रात तक आयोजित होंगी। गर्मी को देखते हुए मजलिसों के समय में थोड़ा परिवर्तन किया गया है। प्रथम चरण में सुबह सात बजे से व द्वितीय चरण में सायं सात बजे से मजलिसें होंगी। इन मजलिसों को अलग-अलग उलमा व जाफरीन संबोधित करेंगे।