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मातम संग निकला मोहर्रम का जुलूस

बहराइच : मंगलवार देर रात इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम की याद में सातवीं मोहर्रम का जु

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 12:13 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 12:13 AM (IST)
मातम संग निकला मोहर्रम का जुलूस
मातम संग निकला मोहर्रम का जुलूस

बहराइच : मंगलवार देर रात इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम की याद में सातवीं मोहर्रम का जुलूस परंपरागत तरीके से निकाला गया। जुलूस परंपरागत मार्गाें से निकाला गया। जुलूस के दौरान इमाम हुसैन के घोड़े का प्रतीक दुलदुल आकर्षण चुराता रहा। हजरत कासिम के सहादत से गमगीन लोगों ने छुरी, कमां और जंजीर से मातम किया। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

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नगर के विभिन्न अंजुमनों की ओर से सातवीं का जुलूस परंपरागत तरीके से निकाला गया। ढोल ताशे की धुन पर जुलूस में शामिल लोग कमां, जंजीर और छुरियों से मातम कर रहे थे। अंजुमन फनाफिल हुसैन के अलम व जुल्फिकार का जुलूस इमामबाड़ा नवाब साहब मोहल्ला सैय्यदबाड़ा से और अंजुमन कासिमया कदीम के अलम का जुलूस चांदपुरा से निकला। अंजुमन कासिमियां रजिस्टर्ड के अलम का जुलूस कासिमपुरा से परंपरागत तरीके से निकाला गया। यह जुलूस पूर्व निर्धारित मार्गों से होते हुए दुलदुल हाउस पहुंचा। शिया समुदाय के कल्बे अब्बास ने बताया कि जिया रिजवी की अगुवाई में दुलदुल का जुलूस निकाला गया। दुलदुल की जियारत करने के लिए लोग यहां एकत्र थे। दुलदुल का जुलूस निकलने पर छुरी, कमां व जंजीर के मातम से माहौल गमगीन रहा। जुलूस को देखने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। अंजुमन फनाफिल हुसैन ने लाहौरी मातम किया। इस दौरान सैय्यद मजहर हुसैन जैदी, सिब्ते रजा, अली कौसर जैदी, मोहम्मद अब्बास, कैसर रजा, मोहम्मद अकरम रिजवी, मोहम्मद रिजवी ने अपने-अपने अंदाज में मातम किया। दुलदुल हाउस से निकले जुलूस में शहर के सभी परंपरागत मार्गों पर भ्रमण किया। यह जुलूस 48 घंटे तक अनवरत चलता रहेगा। सातवीं का जुलूस फखरपुर में लखनऊ-बहराइच मुख्य मार्ग से होता हुआ निकला। इस दौरान लखनऊ और बहराइच की ओर से आने वाले वाहनों की कतारें लगी रहीं। मुहम्मद तौहीदुल हसन काजीकटरा के सदर के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया। काजीकटरा से मंसूरगंज, सलारगंज, नानपारा बस स्टैंड, चांदपुरा, ईदगाह रोड, कांशीराम कॉलोनी, हमजापुरा, बड़ी तकिया हाजिरी देता हुआ रात करीब 12 बजे अपने स्थान पर पुन: वापस हुआ। इस दौरान मुहम्मद गुलफाम के अलावा बड़ी संख्या में लोग जुलूस में शामिल रहे।


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