स्वावलंबन की पठकथा लिख रही अमीनपुर की महिलाएं
बहराइच : विकास से अछूते अमीनपुर गांव की महिलाएं अभावों में भी स्वावलंबन की पठकथा लिख रह
बहराइच : विकास से अछूते अमीनपुर गांव की महिलाएं अभावों में भी स्वावलंबन की पठकथा लिख रही हैं। अशिक्षा व मुफलिसी की ¨जदगी से परिवार को उबारने के लिए गांव की महिलाओं का सहारा गांधी चरख बना है। श्री गांधी आश्रम उत्पादन केंद्र के सहयोग से यह चरखा अमीनपुर के 30 फीसदी घरों में घरेलू उद्योग के रूप में विकसित है। घर के काम के साथ हर रोज 200 से 300 रुपये की आमदनी महिलाएं सूत कातकर कर खरीद केंद्र को देती हैं, जहां से महिलाओं को उनका पारिश्रमिक मिलता है। यही नहीं पंचायत में रोजगार सृजन को लेकर अन्य उद्योग धंधे भी संचालित हैं। इन पर नाज है : ग्राम पंचायत अमीनपुर में 11 मजरे शामिल हैं। सरकारी अभिलेखों में सभी मजरे एक विशेष जाति के नाम से आबाद हैं। इनमें घुमंतू परिवार के गांव का नाम नट डेरा, ललहा में जोगी, कुम्हारनपुरवा में कुंभकार बिरादरी तो गद्दीपुरवा व चमारनपुरवा में अनुसूचित जाति के लोग निवास करते हैं। मन्नापुरवा गांव को मन्ना कोरी ने अपनी जमीन पर बसाया था। लोग उन्हें आदर से याद करते हैं। यही नहीं दूर-दराज से आए लोग विदेशीपुरवा में रहते हैं। बहराइच-गोंडा व बलरामपुर हाइवे को बांटने वाले मजरे का नाम दोनक्का है। इसी तरह आशियाना व खलीफा गांव भी जाना जाता है। चित्र परिचय - 9बीआरएच 49 प्रबंधक पृथ्वीराज चौहान यह है खूबी : बहराइच-बलरामपुर हाइवे से चंद कदम पर स्थापित श्री गांधी आश्रम उत्पादन केंद्र अमीनपुर में वर्ष 1990 से संचालित है। इस केंद्र से 30 परिवार सूत कताई कार्य से जुड़ा हुआ है। प्रबंधक पृथ्वीराज चौहान कहते हैं कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए चरखा मुहैया कराकर सूत कताई के काम से जोड़ा गया है। आटा मिल व ईंट उद्योग रोजगार के मुख्य केंद्र हैं। प्रदेश सरकार की ओर से अमीनपुर में वृद्धाश्रम का भी संचालन किया जा रहा है। जहां सुबह-शाम भजन कीर्तन की गूंज सुनाई देती है। हिचकोले खा रहा आधारभूत ढांचा : अमीनपुर की आबादी 3400 है। इनमें 2600 मतदाता हैं। वोट देने के अधिकार का प्रयोग बढ़चढ़कर करने वाले ग्रामीणों को आजादी के दशकों बाद भी बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत समस्याओं की दरकार है। 11 मजरे उपेक्षा का इस कदर शिकार हैं कि गांव को जोड़ने के लिए मुख्य मार्ग तक नहीं हैं। कच्चे मार्ग पर पगडंडियों के सहारे ग्रामीण गांव पहुंच रहे हैं। हालात ये हैं कि कुम्हारनपुरवा, ललहा, नटडेरा व मन्नपुरवा मिट्टी के दिये से रोशन हो रहा है। शिक्षा के नाम दो विद्यालय हैं। यहां के 70 फीसदी बच्चे पढ़ने की उम्र में होटलों के जूठन साफ करने को विवश हैं। स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक केंद्र तक नहीं है। चित्र परिचय - 9बीआरएच 48 ग्राम प्रधान कृष्णा कुमारी जिम्मेदारों का नहीं बदला ²ष्टिकोण : सदर विधानसभ क्षेत्र से जुड़ा अमीनपुर उपेक्षित है। यहां के लोग जनप्रतिनिधियों के वायदों व आश्वासनों पर अमल होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन चुनाव के बाद शायद किसी जनप्रतिनिधि के कदम गांव में पड़े हों। ग्राम प्रधान कृष्णा कुमारी की माने तो चुनाव के दौरान कई वायदे कर उनसे वोट दिलाने को कहा गया। अब ऐसे लोग विकास कराना तो दूर पहचानते तक नहीं है। वे कहती हैं कि अपने स्तर से गांव की सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश जारी है। मुख्य समस्याएं बिजली की व्यवस्था नहीं गांव को जोड़ने की सड़क नहीं शुद्ध पेयजल की दरकार स्वास्थ्य व शिक्षा का अभाव योजना क्रियान्वयन की अनदेखी