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तेंदुए ने खाए बकरे, वन विभाग ने पैसे

संवादसूत्र श्रावस्ती पूर्वी सोहेलवा जंगल में तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए गए पिजड़े में बारी-बा

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 10:11 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:07 AM (IST)
तेंदुए ने खाए बकरे, वन विभाग ने पैसे
तेंदुए ने खाए बकरे, वन विभाग ने पैसे

संवादसूत्र, श्रावस्ती: पूर्वी सोहेलवा जंगल में तेंदुए को पकड़ने के लिए लगाए गए पिजड़े में बारी-बारी से तीन बकरों को बांधा गया। तेंदुए ने बकरों को निवाला बनाया, लेकिन वन विभाग ने बकरों के मालिक को कीमत नहीं दी। भुगतान के लिए बकरों के मालिक ने डीएम से शिकायत की गई है।

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पूर्वी सोहेलवा जंगल के निकट बालू गांव व कैथैली आदि गांवों में तेंदुए का आतंक था। तेंदुआ कई लोगों पर हमलाकर घायल कर चुका था। मवेशियों को निवाला भी बना चुका था। उसे पकड़ने के लिए वन विभाग ने बालू गांव के पास जंगल में पिजड़ा रखवाया। तेंदुए को फंसाने के लिए इसमें एक-एक कर तीन बकरे बांधे गए। यह बकरे कैथौली गांव निवासी जलील अहमद पुत्र मुस्लिम से लिए गए थे। दो बकरों को निवाला बनाने के बाद तीसरी आमद में तेंदुआ पकड़ा गया। इसके साथ ही वन विभाग ने राहत की सांस ली, लेकिन अपने बकरों को कुर्बान करने वाले जलील को उनका भुगतान देना विभाग भूल गया। जलील का आरोप है कि वन र्किमयों से पैसे मांगे तो वे भड़क गए। कई दिन तक रेंज कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद बकरों की कीमत के बदले जंगल से जलौनी लकड़ी लेने को कहा गया। 16 अक्टूबर को जलौनी लकड़ी लेकर घर आए तो वनर्किमयों ने छापेमारी कर दी। चोरी से लकड़ी काटने का मुकदमा दर्ज कर उनके बेटे शकील को जेल भेज दिया। उन्होंने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है। इस संबंध में पूर्वी सोहेलवा रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारी मदन लाल ने बताया कि बकरे के बदले लकड़ी देने का आरोप फर्जी है। बकरों का पैसा भुगतान करने के लिए कर्मियों को दिया गया था। पैसा नहीं मिला था तो उन्हें शिकायत करनी चाहिए थी। बैंक पासबुक की फोटो कॉपी उपलब्ध कराते तो पैसा सीधे बैंक खाते में भेज दिया जाता है।


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