ढूंढती हैं आंखें..तुम कब आओगे
रुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठरुश्रह्यह्ल ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ
बहराइच : दरवाजे पर आहट कोई आती है तो शहर के मंसूरगंज की मां सकीना की आंखें दरवाजे की ओर निहारने लगती हैं। उसे लगता है कि उसका खोया हुआ लाल शायद आ गया, लेकिन अपने लाल को न पाकर वह फिर नम आंखों से उसकी यादों में खो जाती है। उसके जेहन में उम्मीद का दीया जलता है कि शायद उसका खोया लाडला अब्दुल आ जाएगा। ये दास्तां सकीना की ही नहीं, उन मां-बाप की भी है, जिनके कलेजे का टुकड़ा खो गया है और उनके इंतजार में उनकी आंखें पथरा रही हैं। जिले के विभिन्न इलाकों से गुमशुदा हुए बच्चों की तलाश में पुलिस भी महज खानापूर्ति करती नजर आ रही है। परिजनों के दबाव बनाने पर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मौन हो जाती है। गुमशुदा प्रकोष्ठ भी बच्चों को खोजने में रुचि नहीं ले रहा है। गायब हुए बच्चों का विवरण केस एक - अब्दुल रहमान पुत्र (5) पुत्र कलीम निवासी मंसूरगंज थाना दरगाह शरीफ 11 जून 2015 से लापता है। केस दो - नेहा (5) पुत्री शिवशंकर निवासी बदलूभगत कोतवाली नानपारा से नौ जूलाई 2018 से गायब है। केस तीन - आरती (12) पुत्री दयाराम निवासी महसी थाना हरदी 12 अक्दूबर 2018 से गायब है। केस चार - कुशल (12) रामानंद विश्वकर्मा निवासी रामपुर धोबियाहार थाना खैरीघाट से गायब है। इनसेट वर्ष गायब बच्चों की संख्या 2014-15 12 2015-16 30 2016-17 44 2017-18 30 2018-19 47 इनसेट बच्चों के गायब होने की सूचना पर तत्काल कार्रवाई करने के साथ उनको सुरक्षित तलाशने को लेकर हर थाने पर एक अलग पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है। थाना क्षेत्र से गायब होने वाले बच्चों को खोजने के लिए पुलिस टीमें मुस्तैद हैं। डॉ. गौरव ग्रोवर, एसपी बहराइच