हमको स्वदेश हिद का सम्मान चाहिए ..
संसू बहराइच चंदपइया में संस्कार भारती संस्था की ओर से सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने कविताएं प्रस्तुत की। गोष्ठी की शुरूआत वाणी वंदना से हुई। अध्यक्षता यज्ञनारायण शुक्ल ने की। संचालन रामकरन मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि हास्य कवि शंभू नाथ त्रिपाठी रहे। संसू बहराइच चंदपइया में संस्कार भारती संस्था की ओर से सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने कविताएं प्रस्तुत की। गोष्ठी की शुरूआत वाणी वंदना से हुई। अध्यक्षता यज्ञनारायण शुक्ल ने की। संचालन रामकरन मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि हास्य कवि शंभू नाथ त्रिपाठी रहे।
संसू, बहराइच : चंदपइया में संस्कार भारती संस्था की ओर से सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने कविताएं प्रस्तुत की। गोष्ठी की शुरूआत वाणी वंदना से हुई। अध्यक्षता यज्ञनारायण शुक्ल ने की। संचालन रामकरन मिश्र ने किया। मुख्य अतिथि हास्य कवि शंभू नाथ त्रिपाठी रहे।
कवि पवन कुमार सिंह तोमर ने पढ़ा- जमाने का दर्द दिल में दवा किस-किस की लाऊं मैं, घाव गहरे हैं इतने कि इन्हें कैसे दिखाऊं मैं। चंद्रभान मिश्र निडर ने पढ़ा - चलते रहिए तो मुलाकात भी हो जाएगी, मिलते रहिए तो कुछ बात भी हो जाएगी। मधुसूदन शुक्ल ने पढ़ा - हमको स्वदेश हिद का सम्मान चाहिए, जो गढ़ सके महान वह महान चाहिए। रामकरन मिश्र सैलानी ने पढ़ा - अभिमानियों का मान मिटाने का वक्त है, औकात दरिदों की बताने का वक्त है। शंभू नाथ त्रिपाठी खिपटा ने पढ़ा - यह कलियुग है न ही सतयुग और न ही द्वापर-त्रेता, सरे बाजार जो लूटे वही सबसे बड़ा नेता। अयोध्या प्रसाद शर्मा, राकेश शर्मा, वंदना शर्मा समेत अन्य कवियों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।