खाली रहीं कुर्सियां, राह तकते दिखे फरियादी
खाली रहीं कुर्सियां राह तकते दिखे फरियादी चित्र परिचय - 5 बीआरएच 19 20 21 व 22 में फोटो है। संसू बहराइच योगी सरकार का फरमान है कि सुबह नौ बजे से 11 बजे तक अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर जनता की फरियाद सुनेंगे। इसके लिए सभी अधिकारियों के कार्यालय पर सूचना पट्टिका भी लगी हुई है। विकास के अधिकारियों पर
बहराइच : योगी सरकार का फरमान है कि सुबह नौ बजे से 11 बजे तक अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर जनता की फरियाद सुनेंगे। इसके लिए सभी अधिकारियों के कार्यालय पर सूचना पट्टिका भी लगी हुई है। विकास के अधिकारियों पर सरकार के फरमान का कोई असर नहीं दिख रहा है। सोमवार को दैनिक जागरण ने विकास भवन स्थित कार्यालयों का जायजा लिया। प्रस्तुत है परितोष वर्मा व छायाकार राहुल यादव की रिपोर्ट -
समय : सुबह 9.40 बजे। स्थान : सीडीओ कार्यालय।
दैनिक जागरण की टीम जैसे ही सीडीओ कार्यालय पहुंची, कुछ कर्मचारी साफ-सफाई कर रहे थे। सीडीओ अरविद कुमार चौहान की कुर्सी खाली पड़ी थी। जैसे ही वहां कैमरे का फ्लैश चमका, कर्मचारी सकपकाते हुए बोले - अभी फोटो मत खींचिए। साहब नाराज होंगे।
समय : सुबह 9.45 बजे। स्थान : कार्यालय डीपीओ बाल विकास।
कमोवेश इस कार्यालय पर भी वही हाल था। साहब की कुर्सी खाली पड़ी थी। यहां कोई कुछ भी बताने वाला नहीं मिला।
समय : सुबह : 9.48 बजे। स्थान : कार्यालय पीडी डीआरडीए।
यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था। कर्मचारियों व पीडी अनिल सिंह की कुर्सी खाली पड़ी थी। यहां मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि साहब कुछ ही देर में आते होंगे। नाम पूछने पर वह कन्नी काट गए।
समय : सुबह 9.50 बजे। स्थान : कार्यालय डीपीआरओ।
इस कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मी बिद्रावती कुर्सी-मेज की साफ-सफाई कर रही थी। इतने में डीपीएम जटाशंकर मिश्रा भी मौके पर पहुंच गए। डीपीआरओ उमाकांत मिश्रा कार्यालय नहीं पहुंचे थे। कर्मियों ने बताया कि शायद सीडीओ साहब के यहां गए हैं। समय : सुबह 9.54 बजे। स्थान : कार्यालय जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी।
इस कार्यालय में ताला लटक रहा था। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी रेखा गुप्ता कार्यालय नहीं पहुंची थी। इतने में एक कर्मचारी पहुंचा और उसने कहा कि भैया 10 तो बज जाने दीजिए। साहब आते ही होंगे। समय : सुबह : 9.58 बजे। स्थान : कार्यालय सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता।
इस कार्यालय में भी सहायक निबंधक सहकारिता नवीन चंद्र शुक्ला की कुर्सी खाली पड़ी थी। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के फरमानों का कितना असर जिले के अधिकारियों पर है।
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