बेसहारा गोवंश की सेवा की अलख जगा रहे गयादीन
संसू बौंडी (बहराइच) वर्तमान परि²श्य में पशुपालन घाटे का सौदा बन समस्या का रूप धारण कर चुका हैं ऐसे में बौंडी थाना क्षेत्र के कौड़हा ग्राम पंचायत के मजरा केलागांव निवासी गयादीन नजीर बन कर सामने आए हैं।
बहराइच : वर्तमान परिदृश्य में पशुपालन घाटे का सौदा बन समस्या का रूप धारण कर चुका हैं, ऐसे में बौंडी थाना क्षेत्र के कौड़हा ग्राम पंचायत के मजरा केलागांव निवासी गयादीन नजीर बन कर सामने आए हैं। चार बीघा खेत के मालिक गयादीन ने गोवंश की सेवा के लिए अपने खेत में मड़हा रखकर गोशाला बना लिया। बीते पांच वर्ष से तकरीबन 40 गोवंशों की लगातार सेवा कर रहे हैं।
गयादीन को खेत, सड़क अथवा गांव में कोई बेसहारा पशु दिखता है तो उसके लिए चारा-पानी का इंतजाम करते हैं। घायल होने या बीमार होने पर अपने खर्च से इलाज कराते हैं। गयादीन बताते हैं कि गरीब होने के बावजूद उनके अंदर गो-सेवा की भावना जीवन की शुरुआत से रही है। शास्त्रों में गाय की सेवा करना पुण्य का काम बताया गया है। वह कहते हैं कि गाय से दूध मिलता है, जबकि उसके गोबर से खाद। क्यों न गोपालन किया जाए। इनका मानना है कि खेतों में घूम रहे बेसहारा पशु विदेश से नहीं आए हैं। वे हमीं लोगों ने छोड़े हैं। यदि प्रत्येक व्यक्ति एक-एक गोवंश पाल ले तो बेसहारा पशुओं की संख्या देखने को नहीं मिलेगी। दूध व गोबर की खाद बिक जाती है। इससे होने वाली आय से दो जून की रोटी तथा पशुओं के लिए चारा-दवा आदि का प्रबंध होता है। उन्हें अफसोस है कि पशुपालन विभाग ने उनके समेत किसी पशुपालक को सुविधा मुहैया नहीं करवा रहा है, ऐसे में लोग अनुपयोगी गोवंशों को बेसहारा छोड़ने पर विवश हो रहे हैं। गरीबी के कारण पशुओं के लिए नाद व टीनशेड नहीं बनवा सके हैं। प्रतिकूल मौसम में जीर्ण-शीर्ण छप्पर के नीचे पशुओं को बांधते हैं। क्षेत्रवासियों को गयादीन गोसेवा के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बलवंत सिंह का कहना है कि जो पशुपालक गोआश्रय स्थल से पशुओं को ले जाता है, उन्हें प्रति पशु नौ सौ रुपये प्रति माह का अनुदान दिया जाता है। निजी पशुपालकों के लिए कोई अनुदान की व्यवस्था नहीं है।