व्यवस्था नहीं सुन रही कटान पीड़ितों की व्यथा
धारा में समा चुके हैं 14 घर चित्र परिचय - 13बीआरएच 12 13 व 17 में फोटो है। संसू महसी/गजाधरपुर(बहराइच) घाघरा नदी का जलस्तर घटने के बाद कटान तेज हो गई है। हर दिन नदी की धारा में लहलहाती फसल समा रही है। कटान के भय से धारा के मुहाने पर आए घरों के लोग आशियाने पर हथौड़ा चलाकर गृहस्थी का सामान सहेज रहे हैं। 14 से अधिक घर व तकरीबन एक हजार बीघे जमीन भी धारा में समा चुकी है। पीड़ितों को अभी तक सहायता राशि नहीं दी गई है। कटान पीड़ित सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। महसी के घूरदेवी स्थित स्पर पर नदी खतरे के निशान से एक मीटर 39 सेंटीमीटर नीचे बह रही है।
संसू, महसी/गजाधरपुर(बहराइच) : घाघरा नदी का जलस्तर घटने के बाद कटान तेज हो गई है। हर दिन नदी की धारा में लहलहाती फसल समा रही है। कटान के भय से धारा के मुहाने पर आए घरों के लोग आशियाने पर हथौड़ा चलाकर गृहस्थी का सामान सहेज रहे हैं। अब तक 14 से अधिक घर व तकरीबन एक हजार बीघे जमीन भी धारा में समा चुकी है। पीड़ितों को अभी तक सहायता राशि नहीं दी गई है। कटान पीड़ित सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। महसी के घूरदेवी स्थित स्पर पर नदी खतरे के निशान से एक मीटर 39 सेंटीमीटर नीचे बह रही है।
महसी तहसील क्षेत्र के पचदेवरी, माझादरिया, चुरईपुरवा, नकाही, मैकूपुरवा, गलकारा, जंगलपुरवा टिकुरी, कायमपुर, जुगुलपुरवा, तारापुरवा, पिपरी गोड़ियनपुरवा, पिपरा, जरमापुर, खरखट्टनपुरवा समेत 30 गांवों में बाढ़ का खतरा रहता है। किसानगंज के कोढ़वा व पिपरी गांव के निकट नदी कटान कर रही है। कोढ़वा के संजय कुमार व पिपरी के मोहन, नान्हूराम, बृजेश, महफूज, जाफर, मकबूल, रामू, मोती, छोटेलाल के आशियाने कटान के मुहाने पर हैं। रामचंद्र, गयाप्रसाद व ननकऊ की लहलहाती गन्ने की फसल धारा में समा रही है। कटान पीड़ितों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी आते हैं और कुशलक्षेम पूछकर वापस चले जाते हैं। जब तक स्टड व स्पर का निर्माण नहीं हुआ तो कटान नहीं थमेगी। सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर गए कटान पीड़ित
घाघरा नदी में घर समाने के बाद कैसरगंज तहसील क्षेत्र के मझारा तौकली के बाबूराम, अमिरका, गोपीचंद, गंगाराम, हीरा, टिकू, घनश्याम, बृज बिहारी, राजा, तीरथ, बांके लाल, श्रीराम, राधेश्याम, संतराम, प्रेमचंद व गोड़हिया नंबर तीन के रामकुमार, रामजीत, गुलाब, छंगा, राजेंद्र, विजय सुरक्षित स्थानों की ओर घर-गृहस्थी का सामान लेकर पलायन कर चुके हैं। पीड़ितों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें पुनर्वासित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रशासनिक इंतजाम भी नाकाफी हैं।
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