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भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ मायूस लौटी बहनें, अटूट प्रेम में दीवार बन गई सीमा

भाई बहन के अटूट प्रेम में दीवार बन गई सीमा दोनों तरफ सीमा की नहीं टूटी बंदिशे हाथ मे रक्षासूत्र व मिठाई का डिब्बा लिए सुबकती लौटी बहना।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 06:22 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 06:22 PM (IST)
भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ मायूस लौटी बहनें, अटूट प्रेम में दीवार बन गई सीमा
भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ मायूस लौटी बहनें, अटूट प्रेम में दीवार बन गई सीमा

बहराइच  [प्रदीप तिवारी]। कभी ऐसा नहीं सोचा था कि भाई-बहन के अटूट प्रेम में भारत -नेपाल की सीमा दीवार बन जाएगी। सोमवार को दोनों और हाथों में रक्षासूत्र और मिठाई लिए बहन खड़ी रही, लेकिन सीमा की बंदिशों के बीच भाई बहन नजरें इनायत कर लौटने को विवश हो गए।

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बताते चलें कि 4 माह से भारत नेपाल सीमा पर आवागमन ठप है। चीन के साथ नेपाल की मित्रता वाह भारत विरोधी गतविधियों के बीच दोनों देशों में तनातनी चल रही है। इसका खामियाजा दोनों देशों के बीच व्यापार पर पड़ ही रहा है। रोटी बेटी के चल रहे रिश्तो में भी दरार पड़ने लगी है। जिस का नजारा सोमवार को पेपर दिखा। भाई बहन के अटूट प्रेम के रक्षा सूत्र जैसे पर्व पर सीमा बंधन बन गई। सीमा के दोनों ओर दोनों देशों के भाई बहन परंपरा के निर्वहन के लिए सुबह से ही छोड़ देने की लालसा लिए खड़े रहे ,लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी सीमा का बंधन तोड़ने में नाकाम रहे। रुपईडीहा की सावित्री देवी बिलखते हुए घर वापस लौट आई। उन्होंने बताया पहली बार है जब आप ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र नहीं बांध पाई। नवाबगंज की राधा, महसी की रानी समेत दर्जनों महिलाएं रही जो निराश होकर घर लौट आई। महिलाओं ने बताया कि सीमा के उस ओर भाई खड़ा रहा लेकिन इस ओर में अच्छा सूत्रों मिठाई लेकर बेबस खड़ी रही। भाई आ सका ना मैं ही वहां जा सकी। इसका मलाल उन्हें हमेशा रहेगा। 

भारत की पहल पर दो बजे के बाद नेपाल हुआ राजी

रुपईडीहा बॉर्डर पर सुबह से ही महिलाओं की भीड़ लगी रही। हर हाथ में रक्षा सूत्र मिठाई का डिब्बा रहा। काफी जद्दोजहद के बाद  दो बजे भारत की  पहल व लंबी वार्ता के बाद आखिरकार नेपाल के अधिकारी राजी हुए। तब तक बहुत सारे लोग वापस लौट गए, जो इंतजार में बैठे रहे वही बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकी।

एसडीएम नानपारा राम आसरे वर्मा ने बताया कि नेपाल से वार्ता के बाद बॉर्डर पर पहुंची बहनों व भाइयों को रक्षा सूत्र बांधने के लिए सीमा आने-जाने की इजाजत मिली।


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