आनलाइन शिक्षा ने बढ़ाया सरकारी विद्यालयों में नामांकन
कायाकल्प से सुधरे भवनों के हालात तो प्राइमरी स्कूल देने लगे निजी स्कूलों को टक्कर 2822 परिषदीय विद्यालयों की तादाद 5.22 लाख बचे प्रवेश ले चुके प्रवेश 24 हजार बढ़ी नौनिहालों की तादाद
बहराइच : आनलाइन शिक्षा का असर सरकारी विद्यालयों पर दिखने लगा है। कायाकल्प योजना से स्कूल भवनों की स्थिति में सुधार हुआ तो प्राथमिक स्कूलों के प्रति अभिभावकों में सकारात्मक रुख आया। बच्चों के प्रवेश में बढ़ोतरी देखने को मिलने लगी। प्राइवेट विद्यालयों की अपेक्षा जिले के सरकारी विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश तेजी से बढ़ा है।
कोरोना काल के दौरान जिले में दीक्षा एप, प्रेरणा साथी व रीड एलांग के माध्यम से परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को शिक्षा दी जा रही थी। इसका असर इस समय प्रवेश को लेकर देखा जा सकता है। जिले के सरकारी विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश बढ़ता जा रहा है। यहां 2822 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें 1834 प्राथमिक, 606 संविलियन व 382 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
बाढ़ क्षेत्र से प्रभावित होने के कारण 24 स्कूल बंद हैं। इनके बच्चों को पड़ोस के स्कूलों अथवा गांव में स्थित अन्य भवन में शिक्षा दी जा रही है।
सरकार की भवनों के कायाकल्प की योजना से सरकारी विद्यालय भवन कान्वेंट की तरह लगने लगे, जो बच्चों के आकर्षण का मुख्य कारण हैं।
एक ओर निजी विद्यालयों में अधिक फीस होने के कारण अभिभावक फीस अदा करने में परेशान हो रहे थे। वहीं प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो रहा था।
इसका असर भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों के प्रवेश से देखने को मिल रहा है। इस वर्ष अब तक परिषदीय विद्यालयों में 5.22 लाख बच्चे प्रवेश ले चुके हैं, जबकि गत वर्ष 4.98 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया था। इस वर्ष सरकारी विद्यालयों में बच्चों के प्रवेश की संख्या बढ़ी हैं।
बच्चों की रुझान का कारण ऑनलाइन शिक्षा : बीएसए
बेसिक शिक्षाधिकारी अजय कुमार के मुताबिक सरकारी विद्यालयों में बच्चों के रुझान का मुख्य कारण आनलाइन शिक्षा है। आनलाइन शिक्षा दीक्षा एवं प्रेरणा एप के माध्यम से दी जा रही थी, जिससे कोरोना काल में बच्चों की घर पर आन लाइन पढ़ाई हो रही थी। अभिभावक भी गुणवत्तापरक शिक्षा देखकर प्रभावित हुए। इससे अन्य अभिभावकों को भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों के नामांकन की प्रेरणा मिली।