सूखी हैं नहरें, प्यासे हैं खेत
बहराइच प्रसिद्ध संगीतकार रवींद्र जैन ने जहां अपने गाने की पंक्ति - जल जो न होता तो जल जाता जग..। ग
बहराइच
प्रसिद्ध संगीतकार रवींद्र जैन ने जहां अपने गाने की पंक्ति - जल जो न होता तो जल जाता जग..। गाकर पानी की महत्ता सिद्ध की है वहीं पानी से लगातार जूझने के बाद भी तराई के लोगों को जल समस्या से राहत नहीं मिल पा रही है। सूखी नदियां और नहरें प्रशासनिक उपेक्षा और कुप्रबंध का शिकार नजर आ रही हैं। खेती-किसानी के लिए लाइफ लाइन कहलाने वाली सरयू नहर का तकरीबन 48 किमी में जाल बिछा है, लेकिन पानी न होने से पशु-पक्षियों के साथ किसान भी बेहाल हैं।
तराई का बहराइच जिला कृषि प्रधान तो है ही, जिले की 85 फीसदी जनता गांवों में निवास करती है। किसानों के दो जून की रोटी का आसरा खेत ही है, लेकिन इन खेतों की ¨सचाई के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। आधे से अधिक राजकीय नलकूप खराब पड़े हैं। नहरें सूखी हैं। ऐसे में किसान बेबस है। किसानों की इस बेबसी पर न तो जनप्रतिनिधि गंभीर हैं और न ही अधिकारी। पयागपुर में सरयू नहर मसडी, सेवढ़ा, लखाही, भिगुरी, अमदापुर होते हुए नारायण पुर कुशभौना पुरैना मुंडेरवा मा़फी, विशेश्वर गंज तक लगभग 28 किलोमीटर और त्रिमुहानी तावा पुल से सोहरिया चैसार, शेखापुर, बंजरिया बड़ागांव से होते हुए 20 किमी की दूरी तय करते हुए कटरा के पास गोंडा जिले में प्रवेश कर जाती है। माइनरों का जाल कलुहापुर से खजुरी, वैनी कलुई गोपारा होते हुए विशेश्वरगंज तक फैला है। दूसरी माइनर सहसरावा से पयागपुर, सचौली, विशेश्वरगंज की सीमा में जैसोरा, मनिकापुर गंगवल, गांगूदेवर होते हुए कटरा सीमा तक बिछी है। लगभग 30 ग्राम पंचायतों की एक लाख 25 हजार की आबादी के लोग 20 हजार बीघे के रकबे को इन नहरों व माइनरों से ¨सचाई करते हैं। विशेश्वरगंज के 35 ग्राम पंचायतों में लगभग 25 हजार बीघे की ¨सचाई नहरों के सहारे होती है।
क्या कहते हैं विधायक
पयागपुर के भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि सूखी पड़ी नहरों को भरने के लिए डीएम से मिलकर वार्ता करेंगे। नहरों में पानी छोड़वाकर जल संकट के समाधान का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि नहरों में पानी आएगा। बंद नलकूप भी चलाए जाएंगे।