सुविधाओं से महरूम कैसरगंजवासी
बहराइच : नकारात्मक बदलाव कहीं देखना है तो कैसरगंज चले आइए। यह तहसील मुख्यालय है। दूसरे कस्बों के साथ
बहराइच : नकारात्मक बदलाव कहीं देखना है तो कैसरगंज चले आइए। यह तहसील मुख्यालय है। दूसरे कस्बों के साथ इसका भी शहरीकरण तेजी से हुआ, लेकिन सुविधाएं शहर जैसी कब मयस्सर होंगी? यह सपना ही बना हुआ है। कहने को तो राष्ट्रीय राजमार्ग 28 सी के किनारे यह कस्बा आबाद है, लेकिन बदइंतजामी का ही नतीजा है कि जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। नालियों का पानी सड़कों व गलियों में बहता हुआ कभी भी देखा जा सकता है। स्थानीय नागरिकों ने कस्बे की साफ-सफाई के लिए उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया, लेकिन कोई सुधि लेने वाला नहीं है।
शिक्षक पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि कैसरगंज कस्बा कहने को तो तहसील मुख्यालय है, लेकिन सुविधाएं न के बराबर है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। दवा व्यवसायी संतोष यज्ञसैनी का कहना है कि कस्बे में गंदगी की वजह से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। कस्बा निवासी अम्बरीश गुप्त का कहना है कि कस्बे की साफ-सफाई की व्यवस्था इतनी लचर है कि जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। अजय प्रताप ¨सह का कहना है कि गंदगी का दूसरा नाम ही कैसरगंज हो गया है। जगह-जगह जलभराव कूड़े के ढेर व नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। सर्राफा व्यवसायी भरत कौशल का कहना है कि बदइंतजामी व गंदगी कैसरगंज की पहचान बन गई है। छात्र राहुल ¨सह भी कस्बे की गंदगी से आजिज हो चुके हैं। उनका कहना है कि यदि शीघ्र ही साफ-सफाई नहीं हुई तो आंदोलन करने के लिए स्थानीय निवासी बाध्य होंगे। शिवकुमार ¨सह का कहना है कि कस्बे में गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
क्या कहते हैं ग्राम प्रधान
-डिहवा शेरबहादुर ¨सह कैसरगंज के ग्राम प्रधान कौशलेंद्र चौधरी ने बताया कि कस्बे में केवल एक सफाई कर्मी की नियुक्ति है। जिसकी वजह से साफ-सफाई कराने में दिक्कतें आ रही हैं। कम से कम दो सफाई कर्मी और मिले तो साफ-सफाई की व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है।