ई-वेस्ट से आबोहवा को खतरा
बहराइच : शहर से लेकर गांव तक बढ़ते जा रहे कंप्यूटर, लैपटाप मोबाइल बैटरी के बेकार हिस्सों का निपटाप ब
बहराइच : शहर से लेकर गांव तक बढ़ते जा रहे कंप्यूटर, लैपटाप मोबाइल बैटरी के बेकार हिस्सों का निपटाप बेहद आम तरीके से किया जा रहा है। जाने-अनजाने इसके चलते जमीन, जल, वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। इस दिशा में बचाव के सरकारी प्रयास भी नजर नहीं आते। खतरनाक रसायन आम जन के स्वास्थय के लिए भी खतरा बन रहे हैं।
रोजाना शहर से लेकर गांवों तक मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटाप टीवी का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। ये इलेक्ट्रानिक गैजेट्स खराब होने के बाद पर्यावरण व मानव स्वास्थय के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय के तहत वर्ष 2011 से ही ई वेस्ट के प्रबंधन के बारे में नियमावली प्रभावी है, लेकिन अब तक जिले में इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा। जिम्मेदार तंत्र अभी इस बारे में किसी भी कवायद के होने से इंकार करते हैं। गांवों में लोग जानकारी के अभाव में मोबाइल बैटरियों बेकार पार्ट्स को यूं ही कूड़े में फेंक देते हैं या फिर कबाड़ी के हाथों बेच दिया जाता है। यहीं नहीं नगरपालिका व शहरी क्षेत्र में जहां रोजाना कूड़ा इकट्ठा किए जाने की व्यवस्था है ई-वेस्ट को अलग से एकत्र करने की कोई व्यवस्था अमल म ं नहीं है। शहरवासी अंकित ¨सह बताते हैं कि घरों में इलेक्ट्रानिक गैजेट्स खराब होने के बाद कबाड़ मे बेंच देना ही विकल्प होता है।
क्या है नियम : पर्यवरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ई वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंड¨लग रूल्स 2011 बनाया गया। जिसे एक मई 2012 से लागू कर दिया गया। इसके तहत ई वेस्ट का न केवल कलेक्शन किया जाएगा । उसे अलग अलग रिसाइकिल भी किया जाएगा।
क्या है ई-वेस्ट : मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी, लैपटाप, माइक्रोवेव चार्जर, इंवर्टर, बैटरी, डिजिटल ¨प्रटर, डिजिटल कैमरा आदि का बेकार हिस्सा।
क्या है समस्या
लगभग सभी मोबाइल कंपनियों के पुराने व बेकार मोबाइल व इनके पार्ट्स को सर्विस सेंटर पर कलेक्ट करने की व्यवस्था है बावजूद इसके लोग पैसों के लालच में इसे कबाड़ में देना ज्यादा पसंद करते हैं।
स्वास्थ्य के लिए खतरा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमवी ¨सह ने बताया कि ई-वेस्ट में मौजूद खतरनाक रसायन लेड बेरेलियम, टिन, मरकरी, कैडमियम, मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाने वाले तत्व हैं। सही प्रकार से निस्तारण न होने से ये रिसाव से पानी व मृदा में पहुंच जाते हैं। जलाने पर इनका धुआं वायुमंडल में हानिकारक असर छोड़ता है। इसके प्रभाव से कैंसर, श्वास संबंधी रोग जन्मजात विसंगतियों जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
ई-वेस्ट के जिले में अलग से कलेक्शन की व्यवस्था फिलहाल मौजूद नहीं है। इनमें पाये जाने वाले हानिकारक तत्वों के नुकसान के बारे में व्यापक स्तर पर लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है। यह पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक हैं।
- विद्याशंकर ¨सह, अपर जिलाधिकारी