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ग्रामीण समझें वन्य जीव दोस्त हैं दुश्मन नहीं

जागरण संवाददाता, बागपत : गांव ककौर कलां में शिकारी के शिकंजे में फंसे तेंदुए की मौत से

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 10:59 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 10:59 PM (IST)
ग्रामीण समझें वन्य जीव दोस्त हैं दुश्मन नहीं

जागरण संवाददाता, बागपत : गांव ककौर कलां में शिकारी के शिकंजे में फंसे तेंदुए की मौत से वन विभाग के आला अधिकारी ही नहीं ग्रामीण भी गमजदा हैं। तेंदुए को काबू करने के लिए ग्रामीणों के ही रेस्क्यू अभियान चलाने व स्थानीय पशु चिकित्सकों को वन्य जीव का उपचार का अनुभव नहीं होना इस पूरे मामले में सामने आया। ऐसी घटना दोबारा ना हो, इसके लिए मुख्य वन संरक्षक ने योजना बनाई है। इसमें वन्य जीव दोस्त हैं दुश्मन नहीं, यह बात ग्रामीणों को वन विभाग के अधिकारी समझाएंगे। इसके लिए वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। साथ ही स्थानीय पशु चिकित्सकों भी वन्य जीवों का उपचार करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

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मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा ने बताया कि तेंदुआ अधिकांश मामलों में इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाता। शिवालिक पहाड़ियों से बागपत व हस्तिनापुर वन रेंज तक इसका इलाका है। तेंदुआ गन्ने के खेतों में भी छिप जाता है। ग्रामीण तेंदुए से भयभीत न हों। यदि कहीं भी तेंदुआ नजर आए या उसके पैरों के निशान नजर आएं, तो वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें। तेंदुए को भगाने के पटाखा फोड़े या तेज आवाज करें, तो यह भाग जाता है। लाठी लेकर जंगल में जाएं। जंगल में जाते समय तेज आवाज में बातें करें। वन्य जीवों के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए वर्कशाप का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय पशु चिकित्सकों को भी वन्य जीवों का उपचार करने की ट्रे¨नग दी जाएगी।

पोस्टमार्टम व शव जलाने की जगह बदली

वन विभाग के कार्यालय में पहले पोस्टमार्टम के लिए टीनशेड में व्यवस्था की गई, वहां पर लाइट भी लगाई गई थी। बाद में चिकित्सकों ने खुले में पोस्टमार्टम करने के लिए कहा। इस पर पोस्टमार्टम की जगह बदलकर खुले में की गई। इसी प्रकार पोस्टमार्टम के बाद शव जलाने की व्यवस्था भी मेन गेट के पास की गई थी। बाद में शव को डीएफओ आफिस के पीछे खाली मैदान में जलाने के निर्देश दिए गए, तो वहां पर लकड़ियों को लगाया गया।

साढ़े तीन घंटे देर से शुरू हुआ पोस्टमार्टम

तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम बुधवार की सुबह 11 बजे शुरू होना था, लेकिन साढ़े तीन घंटे देर से यानि दोपहर ढाई बजे शुरू हुआ। देरी का कारण बागपत के पशु चिकित्सकों को पोस्टमार्टम की टीम में शामिल नहीं करने को लेकर रहा। वन अधिकारियों का मानना था कि पशु चिकित्सकों की लापरवाही के कारण बेहोशी की ज्यादा डोज देने से तेंदुए की मौत हुई थी। बागपत के पशु चिकित्सक पोस्टमार्टम में उनका बचाव कर सकते हैं। बाद में बागपत के अलावा मेरठ के पशु चिकित्सकों भी टीम में शामिल किया गया। इसी के चलते पोस्टमार्टम में देरी हुई।


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