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रामदेव के विद्रोही सन्यासी में राष्ट्रवाद का हठयोग

अश्वनी त्रिपाठी, बागपत: बाबा रामदेव योग के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात करने के बाद अब राष्ट्रवा

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Oct 2017 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2017 10:59 PM (IST)
रामदेव के विद्रोही सन्यासी में राष्ट्रवाद का हठयोग

अश्वनी त्रिपाठी, बागपत:

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बाबा रामदेव योग के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात करने के बाद अब राष्ट्रवाद की बयार चलाने को तैयार हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती के क्रांतिकारी जीवन पर आधारित टीवी सीरियल विद्रोही सन्यासी इसका माध्यम है। विद्रोही सन्यासी की कहानी में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के सन्यासी स्वरूप से अलग, उनके क्रांतिकारी व्यक्तित्व को दिखाया गया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश से धारावाहिक का विशेष कनेक्शन दिखाया गया है। पटकथा के अनुसार सन् 1857 की क्रांति में मेरठ में मंगल पांडेय को आजादी का बिगुल बजाने के लिए प्रेरित करने वाले यही सन्यासी थे। सीरियल में ऐसे कई तथ्य बागपत के लेखक तेजपाल धामा की शोध पुस्तक से लिए गए हैं। धामा ने सीरियल के लिए तीन एपिसोड और प्रत्येक एपिसोड में वन लाइन स्टोरी लिखी हैं।

स्वामी दयानंद सरस्वती (1824-1883) को समाज-सुधारक तथा आर्य समाज के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है। तत्कालीन महाराष्ट्र में जिला राजकोट के काठियावाड़ क्षेत्र में जन्मे दयानंद सरस्वती का मूल नाम मूलशंकर तिवारी था। ये संत के साथ ही क्रांतिकारी भी थे। आजादी की क्रांति में इनके योगदान पर बागपत के इतिहासकार तेजपाल धामा ने पुस्तक स्वामी दयानंद सरस्वती लिखी है। लेखक के अनुसार गत वर्ष बाबा रामदेव के विद्रोही सन्यासी सीरियल का निर्देशन कर रहे मधुर भंडारकर से उनकी मुलाकात हुईं। भंडारकर ने उनसे सीरियल के लिए तीन एपिसोड तथा प्रत्येक एपिसोड में वन लाइन स्टोरी लिखवाई। तेजपाल के अनुसार स्वामी दयानंद के बतौर क्रांतिकारी मेरठ में गुजरे समय पर उन्होने अपने तीन एपिसोड लिखे हैं।

यह है मेरठ कनेक्शन

तेजपाल के अनुसार विद्रोही सन्यासी सीरियल में स्वामी दयानंद के मेरठ में गुजरे समय पर विस्तार से दिखाया गया है। इनकी पटकथा के अनुसार स्वामी दयानंद सरस्वती 1859 में स्वामी विरजानन्द को गुरु बनाने से पूर्व देश भ्रमण करते हैं। सन् 1857 में वह मेरठ के औघड़नाथ मंदिर में सन्यासी बनकर रहते हैं। यहां पर वह सैनिकों को पानी पिलाने काम करते हैं। कारतूस के अंदर चर्बी होने पर वह विरोध जताते हैं, और पानी पिलाने से इन्कार करते हैं। मंदिर में उनके प्रवचन सुनने मंगल पांडेय समेत कई अन्य सिपाही आए दिन आते हैं। उन्हें वह अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजाने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे मेरठ में क्रांति का बिगुल बजता है। अंग्रेज दयानंद को बागी घोषित कर देते हैं। तेजपाल के अनुसार इन तथ्यों का उल्लेख मेरठ के आचार्य दीपांकर की किताब आजादी की लड़ाई में मेरठ के योगदान में भी है।

सीरियल में यह क्रांतिकारी कहानियां भी

स्वामी दयानन्द सरस्वती हरिद्वार प्रवास में पांच लोगों से मुलाकात कर उन्हें प्रेरणा देंगे, जो आगे चलकर सन् 1857 की क्रान्ति के कर्णधार बनेंगे। इनमें नाना साहेब, अजीमुल्ला खां, बाला साहब, तात्या टोपे और बाबू कुंवर ¨सह थे। 'रोटी और कमल' की योजना भी यहीं तैयार होती दिखेगी। स्वामी जी 'स्वराज्य' के लिए नारा देंगे।

सीरियल की खास बातें

बाबा रामदेव फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर के साथ करार कर विद्रोही संन्यासी बना रहे हैं। स्वामी दयानंद के रोल के लिए मॉडल शिवेंद्र ओम सैनिओल के साथ शू¨टग चल रही है। इस शो के 52 एपिसोड तैयार होंगे। इसमें से तीन एपिसोड की पटकथा तेजपाल धामा ने लिखी है।


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