डाक्टर का पेशा मानव सेवा के लिए पर अमल करते हैं सीएमओ
कहते हैं गुरु के बिना जीवन साकार नहीं हो सकता है। जब तक गुरु का हाथ सिर पर नहीं होता तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता और न ही जीवन का कोई आधार होता है।
बागपत, जेएनएन। कहते हैं गुरु के बिना जीवन साकार नहीं हो सकता है। जब तक गुरु का हाथ सिर पर नहीं होता, तब तक जीवन सफल नहीं हो सकता और न ही जीवन का कोई आधार होता है। बागपत के सीएमओ डॉ. आरके टंडन को गुरुओं ने ऐसा ज्ञान का प्रकाश दिया कि वह सफल डॉक्टर बने और उसके बाद सीएमओ का सफर तय किया। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरके टंडन ने कहा कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई तो उन्होंने आसानी से पास कर ली थी, लेकिन आगे के करियर के लिए थोड़ा ¨चता में थे। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में साइंस होने के कारण उन्होंने मेडिकल लाइन की राह पर चलना शुरू किया। बरेली में रहकर उन्होंने मेडिकल की तैयारी की। इसमें उनके शिक्षक संजीव जगपति का सबसे बड़ा योगदान रहा। उनकी क्लास में पढ़कर उनका मेडिकल के लिए चयन हुआ। फिर उनका संपर्क बनारस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हरिशंकर वाजपेयी से हुआ। वह क्लास लेते समय हमेशा मानवता का पाठ पढ़ाते थे। वह बताते थे कि डॉक्टर का पेशा मानव सेवा के लिए बना है। कभी भी किसी का दिल नहीं दुखाना है। उनका पढ़ाया हुआ हर पाठ आज भी अच्छी तरह याद है और उस अमल भी कर रहे है। अब वह इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका दिया हुआ हर संदेश को दूसरों को भी अमल करने के लिए बोलते हैं। किसी शायर ने सच कहा है- 'गुमनामी के अंधेरे में था पहचान बना दिया, दुनिया के गम से मुझे अनजान बना दिया, गुरु की ऐसी कृपा हुई की मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया'।