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गन्ना किसानों को 200 करोड़ का घाटा तय

गन्ना फसल तैयार है और किसानों को चीनी मिलों के जल्द चलने का इंतजार है। इस बीच हजारों किसानों ने 100 रुपये कम दाम पर कोल्हु़ओं पर गन्ना बेचना शुरू कर दिया है। उन्हें पता है कि पेराई क्षमता कम होने से चीनी मिलें कुल उत्पादन का 60 फीसदी से ज्यादा गन्ना नहीं खरीद पाएंगी। यानी किसानों को करोड़ों का फिर घाटा उठाना पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 11:49 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 06:28 AM (IST)
गन्ना किसानों को 200 करोड़ का घाटा तय
गन्ना किसानों को 200 करोड़ का घाटा तय

बागपत, जेएनएन। गन्ना फसल तैयार है और किसानों को चीनी मिलों के जल्द चलने का इंतजार है। इस बीच हजारों किसानों ने 100 रुपये कम दाम पर कोल्हु़ओं पर गन्ना बेचना शुरू कर दिया है। उन्हें पता है कि पेराई क्षमता कम होने से चीनी मिलें कुल उत्पादन का 60 फीसदी से ज्यादा गन्ना नहीं खरीद पाएंगी। यानी किसानों को करोड़ों का फिर घाटा उठाना पड़ेगा।

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बागपत में इस साल 69 हजार हेक्टेयर जमीन पर गन्ना फसल लहलहा रही है। प्रति हेक्टेयर 832 कुंतल उत्पादन का औसत है। इस हिसाब से बागपत में कुल 5.74 करोड़ कुंतल गन्ना उत्पादन का अनुमान है। हालांकि अभी चीनी मिलों को गन्ना आवंटन होना बाकी है, लेकिन यह तय है कि मिलें 3.25 करोड़ कुंतल से ज्यादा गन्ना नहीं क्रय कर सकेंगी। गत साल 14 चीनी मिलों ने बागपत के किसानों से 3.20 करोड़ कुंतल गन्ना खरीदा था।

साफ है कि चालू सीजन में फिर बागपत के किसानों का 2.54 करोड़ कुंतल गन्ना कोल्हुओं पर प्रति कुंतल 100 रुपये कम दाम में बेचना पड़ेगा। इससे उन्हें 200 करोड़ रुपये का घाटा तय है। चीनी मिलों में पिछली साल 325 रुपये प्रति कुंतल दाम था।

भाकियू जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह गुर्जर कहते हैं कि जब तक बागपत चीनी मिल की क्षमता वृद्धि नहीं होती और एक नई मिल नहीं लगेगी, तब तक किसानों को कोल्हुओं पर गन्ना बेचना पड़ेगा। किसानों को गन्ना एरिया कम कर दूसरी फसलों का उत्पादन करना चाहिए।

बागपत के राजेंद्र सिंह और सरूरपुरकलां के सुभाष नैन बताते हैं कि फिलहाल किसानों को अपना गन्ना कोल्हुओं पर 200 से 225 रुपये प्रति कुंतल पर बेचना पड़ रहा।

जिला गन्ना अधिकारी अनिल कुमार भारती कहते हैं कि 20 अक्टूबर के बाद चीनी मिलों को गन्ना आवंटन होगा। जितना गन्ना आवंटन होगा उससे ज्यादा की खरीद नहीं होगी।


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