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सीएम योगी की सलाहः कम कीजिए गन्ने की खेती, बढ़ रही शुगर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बागपत में कहा कि किसान गन्ना के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती भी करें।चुटकी ली कि लोगों में शुगर बढ़ रही है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 09:08 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 07:59 AM (IST)
सीएम योगी की सलाहः कम कीजिए गन्ने की खेती, बढ़ रही शुगर
सीएम योगी की सलाहः कम कीजिए गन्ने की खेती, बढ़ रही शुगर

बागपत (जेएनएन)। बड़ौत में दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे के शिलान्यास के मौके पर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसान गन्ना के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती भी करें। उन्होंने चुटकी ली कि लोगों में शुगर बढ़ रही है। सब्जियों और फल-फूल आदि की खेती भी अपनाएं। यहां से दिल्ली पास है, लिहाजा इन उत्पादों का अच्छा भाव मिलेगा।  योगी ने किसानों को चीनी मिल बागपत के विस्तारीकरण का आश्वासन देते हुए कहा कि किसानों को भरपूर बिजली देने को चीनी मिलों में बिजली उत्पादन प्लांट लगवा रहे हैं।

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दूसरी खेती में दिलचस्पी नहीं

दरअसल, किसानों को मुख्यमंत्री की यह सलाह परंपरागत गन्ने की खेती पर निर्भरता कम करने के रूप में थी, ताकि गन्ना बकाया पर भी उनकी निर्भरता कम हो जाए। मुख्यमंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया चाहे जो हो, लेकिन हकीकत यह है कि बागपत समेत वेस्ट यूपी के किसान गन्ना के सिवा किसी दूसरी खेती में दिलचस्पी ही नहीं दिखाते। यही कारण है कि बागपत में गन्ना रकबा लगातार बढ़ रहा है। गन्ना विभाग के सर्वे के अनुसार बागपत में इस साल 74079 हेक्टेयर रकबा में गन्ना फसल है जबकि गत वर्ष यह रकबा 71449 हेक्टेयर था। जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार के मुताबिक, गत साल के मुकाबले इस वर्ष जिले में 2630 हेक्टेयर (3.68 फीसद) गन्ना क्षेत्र बढा़ है। इससे साफ है कि बागपत के किसानों की पहली पसंद गन्ना खेती है।

गन्ना किसानों की आय बढ़ाने का वादा जुमला : अखिलेश

मुख्यमंत्री के बयान को लेकर अखिलेश ने भाजपा की केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने ट्वीट किया- 'बात-बात में पाकिस्तान का विरोध करने वाली भाजपा सरकार ने वहां से अरबों रुपयों की चीनी आयात करके भारत के किसानों को नुकसान पहुंचाया है। इससे किसानों की आय बढ़ाने का भी उनका वादा जुमला साबित हुआ है। इससे आक्रोशित किसान अपने गन्ने लेकर 2019 में इसका जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं।

शोधः चीनी मधुमेह के लिए जिम्मेदार नहीं 

हाल में कानपुर में हुई एक सेमिनार में सामने आया कि चीनी मधुमेह के लिए जिम्मेदार नहीं है। शक्कर (चीनी) मीठा जहर नहीं है। इसकी अति जरूर नुकसानदायक हो सकती है। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआइ) में 'चीनी और चीनी उत्पादों के प्रति उपभोक्ताओं की बदलती वरीयता' पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के शोधकर्ताओं के मुताबिक अक्सर मधुमेह, मोटापे, दांत खराब होने के पीछे चीनी का ही दोष दिया जाता है, जो कि बिलकुल गलत है। आज दुनिया भर में लोग डायबिटीज से डर कर मीठे से परहेज कर रहे हैं, जिससे उनके शरीर को आवश्यक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। इस तरह की रिसर्च आइएसओ ने 126 देशों में किया है। इंटरनेशनल शुगर आर्गेनाइजेशन (आइएसओ) लंदन के वरिष्ठ विश्लेषक पीटर डी क्लार्क ने बताया कि चीनी के प्रति बदलती मानसिकता से बाजार में बदलाव होने लगा है। उपभोक्ता हर खाने पीने की वस्तु, दवा, हेल्थ ड्रिंक में शुगर फ्री की खोज करने लगा है। मिठाइयां, केक, आइसक्रीम में शुगर फ्री की कई किस्में हैं लेकिन उनके दाम अधिक रहते हैं।


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