आइए स्वागत है..इतिहास से गर्द हटाने को तैयार है सिनौली
बागपत : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद की सिनौली साइट फिर खुदाई के लिए तैयार है। इसके स
बागपत : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद की सिनौली साइट फिर खुदाई के लिए तैयार है। इसके साथ ही इस बार यहां से कई रहस्यों से पर्दा हटने की उम्मीद है। खासकर देश में पुरातन काल में वैदिक सभ्यता विद्यमान रही या ¨सधु घाटी सभ्यता, यह रहस्योद्घाटन इस बार की खुदाई से काफी हद तक सामने आएगा। सिनौली गांव में एएसआइ द्वारा किए गए उत्खनन से वैदिक सभ्यता के कई प्रमाण मिले हैं। अब आगे की खुदाई इस पर मुहर लगाएगी। इसके लिए सिनौली तैयार है, और ग्रामीणों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है।
दरअसल सैकड़ों वर्षों से इतिहासकार यहां पर मिलते आए अवशेषों के आधार पर ¨सधु घाटी सभ्यता के विकसित होने का दावा करते आए हैं, जबकि सिनौली गांव से निकले ताम्रजड़ित रथ, तांबे के हथियार और अन्य सामान वैदिक काल में प्रयोग होते थे। वेदों में शवों को जलाने और दफनाने का उल्लेख है। सिनौली में शवों के दोनों ही प्रकार से अंतिम संस्कार का प्रमाण मिला है। इतिहासकार डा. कृष्णकांत शर्मा के अनुसार सिनौली में उत्खनन के दौरान मिले रथ और ताबूत महाभारत कालीन संस्कृति की तरफ इशारा करते हैं। उत्खनन में पांच हजार साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण यह बताते हैं कि तब भी इस क्षेत्र के लोग तांबे और सोने का उपयोग करते थे। दरअसल इतिहासकारों ने जिस सभ्यता को ¨सधु घाटी सभ्यता कहा है, असल में कहीं वह वैदिक या महाभारतकालीन सभ्यता ही तो नहीं थी, इसे लेकर शोधार्थियों की आगे की खुदाई होगी। हालांकि एएसआइ के पुरातत्वविद अभी भी इस संस्कृति को वैदिक सभ्यता कहने से बच रहे हैं। कुल मिलाकर सिनौली उत्साह से लबरेज है, और इस इंतजार में है, कि कब उसकी धरा से निकला कोई रहस्य भारतीय इतिहास को नई रोशनी देगा।