नदियों के दुश्मनों से कर रहे कानूनी जंग
जहीर हसन, बागपत: जल है..तो कल है। हम आने वाले कल को लेकर बेशक फिक्रमंद हैं, लेकिन
जहीर हसन, बागपत:
जल है..तो कल है। हम आने वाले कल को लेकर बेशक फिक्रमंद हैं, लेकिन जल को जहरीला बनाकर। हम भूल चुके हैं कि यदि जल ही स्वच्छ नहीं रहेगा तो भविष्य के लिए किए गए तमाम इंतजाम हमारे किस काम आएंगे। इन नतीजों से वाकिफ पूर्व वैज्ञानिक डा. चंद्रवीर ¨सह अगली पीढि़यों के लिए जल बचाने की मुहिम में जुटे हैं। उनकी ¨हडन-कृष्णा व काली नदी को साफ रखने की कानूनी लड़ाई जारी है। उन्हीं के प्रयासों से पश्चिम उत्तर प्रदेश के लाखों बा¨शदों को न सिर्फ प्रदूषित पानी से निजात मिली, बल्कि कई को जीवनदान भी मिला।
ए से शुरू हुई कानूनी जंग
क मिस्ट्री में एमएससी व बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी डा. चंद्रवीर ¨सह बागपत के दाहा के निवासी हैं। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल साइंस दिल्ली तथा भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान में काम कर चुके हैं। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके शोध पत्र भी जारी हुए हैं। 2013 में हरियाणा के प्रदूषण नियंत्रण विभाग से सीनियर साइंटिस्ट पद से सेवानिवृत्त होकर पैतृक गांव आ गए। कृष्णा और ¨हडन नदी के प्रदूषण से ¨चतित होकर उन्होंने अमेरिका जाने का टिकट कैंसिल कराया और वर्ष 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में रिट दायर कर कानूनी जंग शुरू कर दी।
रंग लाई मेहनत
नतीजा यह रहा कि वर्ष 2015 में एनजीटी के आदेश पर सरकार को सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद तथा गौतमबुद्धनगर जिलों के प्रदूषित पानी वाले इंडिया मार्का हैंडपंप उखड़वाने पड़े। बागपत जिले के 53 गांवों में 1200 हैंडपंप उखाड़े तथा हजारों हैंडपंपों को सील कराया। एनजीटी ने जनवरी 2018 में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व सदस्य सचिव की अध्यक्षता में पश्चिम यूपी के जल स्त्रोतों की जांच को 53 टीमें गठित कीं। इनकी रिपोर्ट पर 12 जुलाई-18 को उन हैंडपंपों तथा नलकूपों को बंद कराने का आदेश हुआ जिनके पानी में पारा मिला था। नदियों में पानी गिराने वाली 316 फैक्ट्रियों की जांच का भी आदेश हुआ। साल 2016 में सरकारी तंत्र ने ¨हडन और कृष्णा नदी में गंगा का पानी लाने व स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने को 2100 करोड़ रुपये का प्लान बनाया, जिस पर अमल होना अभी बाकी है।