पुलिस की अभद्रता से हुआ था काठा में बवाल
बागपत : पिछले साल 14 सितंबर को काठा नाव हादसे में 19 लोगों की मौत के बाद बैठी मजिस्ट्रेट जा
बागपत : पिछले साल 14 सितंबर को काठा नाव हादसे में 19 लोगों की मौत के बाद बैठी मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट आ चुकी है। हादसे की प्रमुख वजह बताने के बजाए अफसरों ने जांच में सब कुछ गोलमोल कर दिया है। दोषियों का चिन्हांकन करने के स्थान पर नाव में बैठे लोगों को ही हादसे का जिम्मेदार करार दिया है। 24 माह में पूरी हुई इस जांच में क्षमता से अधिक ग्रामीणों का नाव पर सवार होना बताया गया है। हादसे के बाद आक्रोशित ग्रामीणों के शवों को दिल्ली-यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर रखकर जाम लगाने तथा पुलिस द्वारा की गई अभद्रता के कारण बवाल का भी तथ्य उजागर किया गया है। मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
काठा नाव हादसे की जांच पहले तत्कालीन एडीएम न्यायिक विधान जायसवाल ने की, उनका तबादला गोरखपुर होने पर फिर तत्कालीन एडीएम वित्त व राजस्व लोकपाल ¨सह ने की। उनके रिटायर होने पर मौजूदा एडीएम वित्त एव राजस्व अनिल कुमार मिश्र ने मजिस्ट्रीयल जांच पूरी की है। एडीएम ने बताया कि जांच में हादसे के चश्मदीदों, घायलों व जिला पंचायत, पुलिस, प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बयान हुए। बयानों के आधार पर यह बात सामने आई कि हादसे का कारण ग्रामीणों के नाव की क्षमता से अधिक सवार होना था। नाव में 15 से अधिक लोग सवार नहीं हो सकते थे, लेकिन उस दिन 42 ग्रामीण नाव पर सवार थे। अवैध रूप से संचालित नाव को जिला पंचायत ने नहीं रोका
जांच में नाव के अवैध रूप से चलने की बात सामने आई। नाव करीब एक साल से अवैध रूप से चल रही थी। जिला पंचायत ने नाव को नहीं रोका। यदि जिला पंचायत नाव का संचालन नहीं होने देता, तो यह हादसा नहीं होता। तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी की लापरवाही उजागर हुई है।
पुलिस ने अभद्रता करने पर भड़के ग्रामीण, हुआ बवाल
जांच में यह बात सामने आई कि शवों को नेशनल हाईवे पर रखकर जाम लगा रहे ग्रामीणों के साथ पुलिस ने अभद्रता की। इस पर ग्रामीण भड़क गए और ग्रामीणों ने बवाल किया। पुलिस अधिकारियों ने मौके पर अमर्यादित व्यवहार ग्रामीणों से किया।
सीएमओ, खनन व आबकारी अधिकारी को क्लीन चिट
नाव के डूबने का कारण यमुना नदी में अवैध खनन के कारण गहरे कुंड होना माना गया था। साथ ही नाव में हरियाणा मेड शराब की तस्करी किए जाने के भी आरोप लगे थे। इसके अलावा हादसे में डूबे लोगों को सही उपचार नहीं मिलने की शिकायत भी की गई थी। जांच में यमुना नदी में कोई अवैध खनन व शराब की तस्करी किए जाने की पुष्टि नहीं हुई। साथ ही घायलों का चिकित्सकों द्वारा उचित उपचार किए जाने की पुष्टि हुई। इसी कारण सीएमओ, खनन व आबकारी अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई।
ये था मामला
पिछले साल 14 सितंबर 2017 को काठा गांव के निकट यमुना नदी किनारे 42 ग्रामीणों से लदी नाव डूब गई थी। नाव ग्रामीणों को लेकर नदी के पार हरियाणा लेकर जा रही थी। हादसे में 12 महिला समेत 19 ग्रामीणों की जान चली गई थी। वहीं 11 ग्रामीण घायल हो गए थे। 12 ग्रामीणों ने नाव से कूदकर जान बचाई थी। हादसे के बाद ग्रामीणों ने शवों को नेशनल हाईवे दिल्ली-यमुनोत्री पर रखकर जाम लगा दिया था। इस दौरान आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों पर पथराव कर दिया था। इसमें कोतवाल दिनेश कुमार, पुलिसकर्मी व होमगार्ड घायल हो गए थे। वहीं ग्रामीणों ने महिला हेल्प लाइन की सरकारी गाड़ी फूंक दी थी। साथ ही तत्कालीन डीएम भवानी ¨सह खगारौत व एएसपी सुमन कुमार को दौड़ा दिया था। इस मामले में थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने नाविक रिजवान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं शासन से मामले की मजिस्ट्रीयल जांच करने के आदेश दिए थे।