किसानों का हंगामा, सचिव का घेराव, इंस्पेक्टर से झड़प
जागरण संवाददाता, बागपत : चीनी मिलें चलने के 15 दिन बाद भी हजारों किसानों को गन्ना आपूर्ति संबं
जागरण संवाददाता, बागपत : चीनी मिलें चलने के 15 दिन बाद भी हजारों किसानों को गन्ना आपूर्ति संबंधी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिला है। शुक्रवार को फिर किसानों ने सहकारी गन्ना विकास समिति बागपत में हंगामा कर सचिव का घेराव किया तथा ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक से झड़प हुई। किसानों की मानें तो एक सप्ताह से रोजाना सुबह काम-धंधा छोड़कर भूखे-प्यासे दफ्तर आकर लाइन में लगते हैं और शाम को बिना समस्या निस्तारण के लौट जाते हैं। साफ है कि कानून का पाठ पढ़ाने वालों को बवाल होने का इंतजार है।
ढिकौली गांव के दर्जनों किसानों ने सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव का घेराव कर 500 किसानों का गन्ना ब्योरा शून्य करने का कारण पूछा। सर्व ब्योरा रिकार्ड में दर्ज नहीं होने का मतलब है किसानों का गन्ना चीनी मिल में नहीं जाएगा। सचिव के जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद किसान डीसीओ दफ्तर पहुंचे और ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक से तीखी नोक-झोंक की। महक ¨सह, मांगेराम, धर्मेंद्र, कर्मवीर, मोनू तथा अनुज तथा राइटर आदि किसानों ने चेतावनी दी कि उनकी समस्या का निस्तारण नहीं होने पर आंदोलन करेंगे। ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अनिल कुमार ने किसानों को समस्या निस्तारण का भरोसा दिया।
वहीं सहकारी गन्ना समिति में लाइन में लगे किसान भी हंगामा करते रहे। बसी के राममेहर ¨सह, विकास, गाधी गांव निवासी राजवीर, नैथला के अशोक कुमार समेत दर्जनों किसानों ने बताया कि सुबह दस बजे से लाइन में लगे हैं। छह घंटे बाद लाइन में भीड़ कम नहीं हो रही। काउंटर बैठे कर्मी इंटरनेट फेल होने की बात करते हैं तो कभी दूसरा बहाना। गन्ना आपूर्ति पर्ची नहीं मिलना, बांड चालू नहीं होने, कम गन्ना दर्ज करने, आपूर्ति कैलेंडर न मिलने जैसी समस्याएं हैं। गेहूं बोआई कैसे होगी? सचिव अनिल यादव ने समस्या निस्तारण का आश्वासन दिया।
छह घंटे लाइन में लगा 80 साल का वृद्ध
बागपत: खासपुर गांव के 80 वर्षीय धर्मबीर ने बताया कि सुबह 11 बजे लाइन में लगे थे, लेकिन शाम चार बजे तक भी कर्मचारी तक पहुंचने का नंबर नहीं आया। दस बीघा गन्ना है, लेकिन आज तक एक भी पर्ची नहीं मिली।
यह हैं प्रमुख समस्याएं
-गन्ना बेसिक कोटा तथा एरिया कम दर्ज करना।
-गत साल के मुकाबले कम गन्ना पर्ची लगाना।
-काफी किसानों के मनमाने ढंग से बांड करना।
-किसानों का संशोधित डाटा अपलोड न करना।
-मांग पर क्रय केंद्र तथा मिल गेट नहीं बदलना।
-समय से गन्ना आपूर्ति पर्चियां जारी नहीं होना।
-अनेक गन्ना क्रय केंद्रों का चालू नहीं होना भी।
-रिपोर्ट लगवाने को सुपरवाइजर का न मिलना।
-नये गन्ना बांड चालू नहीं होने से भी परेशानी।
-किसानों को गन्ना आपूर्ति कैलेंडर नहीं मिलना।