¨हदु संगठनों का आरोप, महाभारत कालीन इतिहास छिपाने की साजिश
जागरण संवाददाता, बड़ौत (बागपत): सिनौली गांव की जमीन से तलवार, शाही ताबूत, मृदभांड, आभूषण,
जागरण संवाददाता, बड़ौत (बागपत): सिनौली गांव की जमीन से तलवार, शाही ताबूत, मृदभांड, आभूषण, ताम्र निर्मित बर्तन, दीवार, कंकाल, रथ और न जाने क्या-क्या निकल रहा है, लेकिन इस पर आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी जिले के बा¨शदों को नहीं मिल पा रही है। स्थानीय लोग इस बात से खफा हैं कि उनके ही जिले में खोदाई चल रही है, और उनसे ही सब कुछ छिपाया जा रहा है। इसे लेकर ¨हदू संगठनों ने आक्रोश जताया है। ¨हदू संगठनों ने आरोप लगाया कि एएसआई के अधिकारी महाभारत कालीन इतिहास को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बरसों से पढ़ाए जा रहे गलत इतिहास में कोई बदलाव न किया जा सके।
¨हदू जागरण मंच के जिला उपाध्यक्ष दीपक बामनौली का कहना है कि महाभारत का रिश्ता बागपत से है और सिनौली की जमीन से जो पुरावशेष निकल रहे हैं वह महाभारतकाल के ही हैं। वर्ष 2005 से अब तक तीन बार खोदाई में अनेकों पुरावशेष मिल चुके हैं, इसलिए एएसआई को इस बारे में सही जानकारी स्थानीय जनता को देनी चाहिए। कुछ अफसर महाभारत के इतिहास को छिपाने की साजिश कर रहे हैं। बजरंग दल के जिला संयोजक अमित तितरौदा का कहना है कि बरनावा का पौराणिक नाम वार्णावृत था, जहां कौरवों द्वारा पांडवों को जलाने का षडयंत्र रचा गया था। कुछ ही दूर सिनौली से जो प्राचीन पुरावशेष निकल रहे हैं, वह भी महाभारतकाल के ही हैं और एएसआई को इस बारे में लोगों को बुलेटिन जारी कर पुख्ता सूचना देना चाहिए। विहिप बड़ौत प्रखंड संयोजक अंकुश हिलवाड़ी का कहना है कि किसी और काल का नहीं बल्कि बरनावा और सिनौली में जो रथ, तलवार आदि निकल रहा है उसका कहीं न कहीं महाभारतकाल से नाता है। बागपत के लोगों को इस बारे में जानने का हक है। चूंकि यहां से ही पुरावशेष निकल रहे हैं। शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक व इतिहासकार डा. अमित राय जैन का कहना है कि प्राचीन साहित्य, भौगोलिक दृष्टि से सिनौली में 2005, 2018 और 2019 में मिल रहे पुरावशेषों से यह सिद्ध हो रहा है कि यहां की सभ्यता का महाभारत के काल से संबंध रहा है। एएसआई निदेशक डा. संजय मंजुल से इस बारे में बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।